डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने एक बार फिर वैश्विक संस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ICC पर बैन लगाए और अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकालने का फैसला किया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रंप इन संस्थाओं पर दबाव बनाकर अपनी नीतियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं?
ICC पर बैन: ट्रंप की नई नीति
ICC पर बैन क्यों लगाया गया?
ट्रंप प्रशासन ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) पर कई आर्थिक और यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। इसका मुख्य कारण यह बताया गया है कि ICC अमेरिकी नागरिकों और उनके सहयोगियों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण जांच कर रहा था। खासतौर पर, इजरायल और अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ जांच को ट्रंप ने अनुचित बताया।
ICC क्या है और इसका काम क्या है?
एक स्थायी न्यायालय है जो युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार के मामलों की जांच करता है। हालांकि, अमेरिका, चीन, रूस और इजरायल इसके सदस्य नहीं हैं। अमेरिका का तर्क है कि ICC अक्सर राजनीति से प्रेरित निर्णय लेता है और निष्पक्ष नहीं रहता।
ICC बैन का वैश्विक प्रभाव
ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिका की वैश्विक स्तर पर आलोचना हुई है। कई देशों और मानवाधिकार संगठनों ने इसे न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। हालांकि, अमेरिका का तर्क है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।
WHO से आउट अमेरिका: ट्रंप का बड़ा फैसला
अमेरिका ने WHO से बाहर होने का फैसला क्यों किया?
ट्रंप ने WHO पर आरोप लगाया कि उसने COVID-19 महामारी को ठीक से संभालने में विफलता दिखाई। ट्रंप का कहना था कि WHO चीन के प्रभाव में काम करता है और उसने महामारी की शुरुआती चेतावनियों को नजरअंदाज किया।
WHO से अलग होने के प्रभाव
अमेरिका WHO का सबसे बड़ा दाता था और उसकी वित्तीय सहायता पर संगठन काफी हद तक निर्भर था। अमेरिका के बाहर होने से WHO की फंडिंग और संचालन पर प्रभाव पड़ा है।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रभाव
WHO से अमेरिका के बाहर होने के कारण कई वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नुकसान हुआ है। विशेष रूप से, विकासशील देशों में टीकाकरण और बीमारियों की रोकथाम में कठिनाइयाँ आई हैं।
अन्य वैश्विक संगठनों से अमेरिका की दूरी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)
ट्रंप प्रशासन ने UNHRC को इजरायल विरोधी बताते हुए इससे बाहर होने का फैसला किया।
पेरिस जलवायु समझौता
ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से भी अलग कर दिया, यह कहते हुए कि यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा था।
व्यापारिक संगठनों से अलगाव
अमेरिका ने कई व्यापारिक समझौतों की भी समीक्षा की, जिससे वैश्विक व्यापार प्रणाली प्रभावित हुई। ट्रंप का मानना था कि अमेरिका को उन समझौतों से हटना चाहिए जो उसके हित में नहीं हैं।
ट्रंप का असली उद्देश्य क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रभाव से बाहर निकालना चाहते हैं। उनका मानना है कि ये संगठन अमेरिका की नीतियों पर अनुचित दबाव डालते हैं।
अमेरिका फर्स्ट नीति का प्रभाव
ट्रंप की नीति से अमेरिका ने अपनी स्वायत्तता को प्राथमिकता दी, लेकिन इससे उसके सहयोगी देशों के साथ संबंध कमजोर हो सकते हैं।
राजनीतिक उद्देश्य
ट्रंप के ये फैसले अमेरिकी जनता के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं। वह अपनी चुनावी रणनीति के तहत ऐसे फैसले लेते हैं जो उनकी लोकप्रियता को बढ़ा सकते हैं।
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निष्कर्ष
ट्रंप के ये फैसले अमेरिका की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को दर्शाते हैं। हालांकि, इन फैसलों का वैश्विक राजनीति और अमेरिका की साख पर भी असर पड़ सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि ट्रंप की यह नीति आगे क्या रंग लाती है।