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बबिताबेन रामपाल गुप्ता: गुलाबी ऑटो से मिली नई पहचान और प्रेरणा
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बबिताबेन रामपाल गुप्ता: गुलाबी ऑटो के सफर से मिली नई पहचान

प्रस्तावना: लिंबायत नीलगारी सर्कल की बबिताबेन रामपाल गुप्ता की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं। पिछले आठ वर्षों से गुलाबी ऑटो चलाते हुए, उन्होंने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से मुश्किलें आसान हो सकती हैं।

शुरुआत का डर: 2017 में बबिताबेन ने ऑटो चलाने का प्रशिक्षण लिया। उस समय उन्हें दुर्घटनाओं का डर था, लेकिन उन्होंने अपने डर पर काबू पाया और आगे बढ़ने का फैसला किया। पहले, आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, और उन्हें एक फैक्ट्री में 10 साल तक काम करना पड़ा।

नए रास्ते की खोज: अपने जीवन में बदलाव लाने की चाहत में, बबिताबेन ने अपना व्यवसाय शुरू करने का सोचा। पिंक ऑटो के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने सूरत नगर निगम के यूसीडी विभाग से संपर्क किया। वहां से उन्हें पिंक ई-ऑटो चलाने की जानकारी और प्रशिक्षण मिला, जिसने उनकी जिंदगी का रुख मोड़ दिया।

सफलता की कहानी: बबिताबेन अब प्रतिदिन 800 रुपये कमा रही हैं, जिसमें से वे 300 से 400 रुपये बचा लेती हैं। उनका कहना है, “जब मैं रिक्शा चलाती हूं, तो मुझे लगता है कि जिंदगी के प्रति मेरा नजरिया बदल गया है।”

परिवार का नया भविष्य: उनकी सफलता ने न सिर्फ उनका, बल्कि उनके परिवार का भविष्य भी उज्ज्वल बना दिया है। बबिताबेन की कहानी यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, विश्वास और दृढ़ संकल्प से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

निष्कर्ष: बबिताबेन रामपाल गुप्ता का सफर यह दर्शाता है कि अगर हम अपने सपनों के लिए मेहनत करें, तो किसी भी चुनौती को मात दे सकते हैं। उनकी यात्रा हमें यह प्रेरणा देती है कि जिंदगी में कभी हार नहीं माननी चाहिए।

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