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The true cost of housework: An important lesson
लाइफस्टाइल

घर के काम की असली कीमत: एक महत्वपूर्ण सबक

मां, बेटा और बहू तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे। खाना खाते-खाते बेटा अपनी पत्नी से बोला, “नीता, तुमने आज भी दाल-रोटी ही बनाई! कम से कम खाना बनाने में तो आलस मत किया करो। अभी तो घर में ही रहती हो, कुछ अच्छा भी बना सकती थी।”
नीता ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “बनाने वाली तो मैं सूजी का हलवा थी, लेकिन सूजी आई नहीं। मैंने कल ही ऑर्डर किया था। कोई बात नहीं, कल बना दूंगी।”
इतने में किचन में कुकर की सीटी बजी और नीता उठकर किचन में चली गई। वापस आकर वह बोली, “शाम को आलू की टिकिया बनाऊंगी।” उसकी सासू मां ने यह सुनकर खुशी जताई। तभी नितिन बोल पड़ा, “अरे, मजे कर रही हो तुम दोनों! अपनी पसंद की चीजें बनाकर खा रही हो।”
डोरबेल बजी और नीता फिर उठकर दरवाजा खोलने चली गई। डिलीवरी बॉय सूजी लेकर आया था। पार्सल लेकर नीता वापस बैठी तो मां ने बेटे से कहा, “तू दरवाजा खोल देता, बेचारी को खाना खाते समय भी सुकून नहीं मिल रहा।” बेटा बोला, “सॉरी मां, ऑफिस जाने की देर हो रही थी।”
खाना खत्म करके नितिन अपने कमरे में चला गया और कुछ ही देर में नीता को आवाज दी, “नीता, मेरी घड़ी कहां रखी है?” नीता ने खाने के बीच ही जवाब दिया, “अलमारी के ड्रॉअर में देखो।” नितिन बोला, “नहीं मिल रही!” नीता फिर उठने ही वाली थी कि उसकी सासू मां ने उसे रोक लिया, “खाना खत्म कर लो, बच्चा नहीं है, ढूंढ़ लेगा।” थोड़ी देर बाद नितिन की आवाज आई, “मिल गई।” सासू मां और नीता ने एक-दूसरे की तरफ मुस्कुराकर देखा।
अगले दिन नितिन अपने कमरे में फाइल ढूंढ़ने में पूरा कमरा फैला बैठा। बड़बड़ाते हुए बोला, “इस घर में कभी कुछ अपने ठिकाने पर नहीं मिलता!” नीता आई और फाइल तुरंत नितिन को थमा दी। नितिन ने उल्टा उसे ही डांटते हुए कहा, “कमरा फैला दिया, चलो कोई बात नहीं, यहीं बैठकर काम करो। कभी-कभी लगता है कि मुझे हाउसवाइफ से शादी नहीं करनी चाहिए थी।” यह सुनकर नीता चुप रही, लेकिन मां सब सुन चुकी थी।
अगले दिन जब नितिन ने नीता को चाय के लिए आवाज दी, तो मां ने कहा, “नीता अपने मायके गई है, जरूरी काम था।” नितिन चाय बनाने के लिए किचन में चला गया। मां ने चाय पीते हुए कहा, “नीता तो चाय में तुलसी के पत्ते डाल देती है, उसका स्वाद ही अलग होता है।” फिर मां ने मटर पनीर की फरमाइश की, और नितिन को खुद ही मटर पनीर बनाने भेज दिया। नितिन ने झट से दाल-रोटी बनाकर लाया। मां ने तंज कसते हुए कहा, “नीता होती तो मटर पनीर जरूर बनाती। कोई बात नहीं, दाल-रोटी ही सही।”
नितिन को एहसास हुआ कि घर के काम आसान नहीं होते। अगले दिन सब्जी काटते हुए उसकी उंगली कट गई। तभी नीता आई और पट्टी बांधने लगी। नितिन ने हैरान होकर पूछा, “तुम मायके नहीं गई थी?” नीता मुस्कुराते हुए बोली, “नहीं, मां और मैंने तुम्हें सबक सिखाने के लिए ये प्लान बनाया था।”
नितिन ने नीता से वादा किया कि वह घर के काम में उसका साथ देगा। नीता भी मुस्कुराई और दोनों ने साथ मिलकर नए सिरे से जीवन की शुरुआत की।

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