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After all, the daughter-in-law is also a daughter, please read the full post
लाइफस्टाइल

आखिर बहु भी तो बेटी ही है, पूरा जरूर पढे

बेटी अगर किसी को जवाब दे, तो बोलते हैं कि वह ना समझ है, और वही अगर बहु कुछ कह दे, तो बोलते हैं कि तुम्हारी मां ने तुम्हें यही संस्कार दिए हैं कि तुम बड़ों को जवाब देती हो। बेटी सुबह लेट सोकर उठे तो कोई बात नहीं, और बहु अगर एक दिन लेट हो जाए, तो सास का मुंह फूल जाता है।
बेटी घंटे फोन पर बात करे तो कुछ नहीं, दिन है उसके; और अगर बहु बात करे, तो 10 बातें सुनाई जाती हैं कि घर में और कोई काम नहीं है क्या। बेटी खुलकर हंसी-मजाक कर सकती है, वही बहु को ऊंची आवाज़ में बात करना भी गलत माना जाता है। बेटी घर में कुछ भी कम ना करें, तो छोटी है, अभी सिख जाएगी; और वही बहु पूरा दिन काम करें, और अगर उससे कोई काम ना हो पाए, तो बोला जाता है कि इतनी बड़ी हो गई है, अभी तक काम करने का तरीका नहीं आया।
घर में जो बेटियां पहन सकती हैं, वो बहुएं नहीं पहन सकतीं, उन्हें कहा जाता है कि बड़ों का लिहाज करना चाहिए, और बेटियों के लिए आंखें बंद कर ली जाती हैं। बेटी ससुराल में खुश होती है, तो खुशी होती है; और बहु ससुराल में खुश होती है, तो खराब लगता है। दामाद बेटी की मदद करें, तो अच्छा लगता है; और बेटा बहु की मदद करें, तो जोरू का गुलाम कहा जाता है।
बेटी को ससुराल में अकेले काम करना पड़े, तो चिंता होती है कि मेरी बेटी थक जाएगी; और बहु सारा दिन अकेले काम करें, फिर भी अगर न करें, तो गुस्सा आता है। जब वह अपने घर में बहु की मदद ना करें, तो वह सही लगता है।
बेटी के ससुराल वाले ताना मारें, तो गुस्सा आता है; और खुद बहु के मायके वालों को ताना मारना सही लगता है। बेटी को रानी बनाकर रखने वाली ससुराल चाहिए, और खुद को बहु कामवाली चाहिए।

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