कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण सिखने को मिलता है कि किसी के रंग, आर्थिक स्थिति या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। उर्मिला ने अपने बेटे नीरज की पसंद को नकारते हुए एक अमीर और गोरी लड़की को ही बहू स्वीकार किया, जबकि निशा की गरीबी और रंग पर आपत्ति जताई। इसके परिणामस्वरूप, निशा को परिवार में अपमानित किया गया और सभी कामों का बोझ उस पर डाल दिया गया।
हालांकि, एक दिन जब उर्मिला की जान खतरे में पड़ी, तो निशा ने अपनी जान की परवाह किए बिना उसे बचाया। इस घटना ने उर्मिला को एहसास दिलाया कि निशा की सेवा और समर्पण उसके मूल्य और गुणों को दर्शाते हैं, न कि उसके बाहरी रूप को। इस प्रकार, उर्मिला ने अपनी सोच में बदलाव किया और दोनों बहुओं के साथ समान व्यवहार करने का निर्णय लिया।
इस कहानी से यह भी सिखने को मिलता है कि व्यक्तित्व और कर्म ही सबसे महत्वपूर्ण हैं, न कि बाहरी रूप। हमें सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए और अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर सच्चे सम्मान और प्यार का प्रदर्शन करना चाहिए।