जब एक महिला को डिलीवरी के तुरंत बाद अकेले ही घर, बच्चा और ऑफिस का काम संभालना पड़े और पति का साथ न मिले, तो यह उसके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति बन जाती है। डिलीवरी के बाद महिला का शरीर कमजोर होता है और उसे पूरी तरह ठीक होने के लिए आराम की जरूरत होती है। इस समय में उसे ज्यादा काम करना न केवल शारीरिक रूप से थका देता है, बल्कि उसकी सेहत पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। थकावट और तनाव के कारण उसे कमर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, और नींद की कमी जैसी शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिला का शरीर अभी भी गर्भावस्था और प्रसव के बाद की स्थिति से उबर रहा होता है, ऐसे में अतिरिक्त काम के दबाव से उसकी सेहत और कमजोर हो सकती है।
भावनात्मक सहारा न मिलने पर महिला को तनाव और अकेलापन महसूस हो सकता है। डिलीवरी के बाद महिला के मन में कई भावनात्मक बदलाव होते हैं और उसे मानसिक सहारे की जरूरत होती है। लेकिन जब उसका पति उसकी स्थिति को न समझे, तो उसे ऐसा महसूस हो सकता है कि उसकी मेहनत और संघर्ष की कोई कद्र नहीं हो रही है। इस समय में भावनात्मक समर्थन न मिलने से महिला अंदर से टूट सकती है और खुद को अकेला महसूस कर सकती है। यह तनाव और भावनात्मक दबाव उसे अवसाद की ओर धकेल सकता है, जिससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है। महिला के लिए यह दौर भावनात्मक रूप से बेहद संवेदनशील होता है, और इस समय उसे अपने पति और परिवार से सहानुभूति और समझ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
बच्चे की देखभाल भी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है, और इसे अकेले निभाना महिला के लिए काफी मुश्किल हो सकता है। नवजात शिशु को बार-बार देखभाल की जरूरत होती है, जैसे कि दूध पिलाना, उसकी नींद का ध्यान रखना, और उसकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करना। रात में बार-बार उठना, बच्चे को सुलाना और उसे समय-समय पर खाना खिलाना एक माँ के लिए थकावट भरा काम हो सकता है। इन सभी जिम्मेदारियों के बीच महिला के पास अपने लिए समय नहीं बचता, जिससे उसकी अपनी सेहत और आराम पर असर पड़ता है। अगर पति और परिवार का सहयोग मिले, तो यह उसकी जिम्मेदारियों को हल्का कर सकता है और उसे मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है। परिवार का सहयोग और सराहना उसे इस मुश्किल समय में मानसिक शक्ति प्रदान कर सकते हैं और उसे खुशी और संतुष्टि का एहसास दिला सकते हैं।