दारासिंह पहलवान !
विनेश फोगाट को 100 ग्राम वज़न ज़्यादा होने से अयोग्य घोषित कर दिया , देश को उम्मीद थी कि रेसलिंग में गोल्ड पक्का है , पर पूरे देश को दुख के साथ निराशा हाथ लगी ,
सुबह से मन नहीं हो रहा था कुछ भी लिखने का , खेल और खिलाड़ियों के बारे में ही सोच रहा था ,
सोच रहा था कि ये खेल कैसा है जिसमें वज़न की कैटेगरी के हिसाब से कुश्ती लड़नी पड़ती है ?
ऐसा कैसा खेल है जिसमें ख़ुद को भूखा प्यासा रखना पड़ता है जिससे वज़न कम हो जाये ?
सच बोलूँ तो ऐसी कुश्ती की कभी जानकारी ली ही नहीं ,,
गाँव में कुश्ती देखी हैं , पहलवान , पहलवान से लड़ जाता था , आवाज़ देकर चुनौती फेंक देता था , जिसने चुनौती उठा ली फिर काहे की उम्र और काहे का वज़न ,
चित करने का खेल होता था , जिसने चित कर दिया वो विजेता , जो चित हो गया वो हार मान लेता था ,
लड़ने वाले पहलवान खूब खा पीकर लड़ते थे , भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता है फिर आज के पहलवान खाना पीना छोड़ कर एनर्जी कहाँ से लाते हैं ,
दारा सिंह की बात कर लेते हैं जिनके बारे में सुना है कि 500 से ज़्यादा कुश्ती लड़ी , एक भी कुश्ती नहीं हारी , दारा सिंह पहलवान का वज़न अपने आप में ही 130 kg था ,
उन्होंने ख़ुद 130kg के हो कर 200 kg वाले पहलवानों को धूल चटाई है ,
दारासिंह पहलवान की खुराक भी बहुत तगड़ी हुआ करती थी , खूब खाते पीते थे ,
अपने नेचुरल वज़न से कितना भी ऊपर का पहलवान आजाए उसका ना उन्हें ख़ौफ़ था ना किसी बात का डर , उनके लिए तो बस चैलेंज था ,
पर आज की कुश्ती बदल गई है ये सोच कर वाक़ई हैरान हूँ , बात अपने नेचुरल वज़न की कर रहा हूँ , अगर विनेश फोगाट का वज़न ज़्यादा था तो ज़्यादा वज़न वाली से लड़ लेती , 50 kg वज़न वाले बच्चे से कियूँ लड़ना ??
53 kg से लड़ लेती ? क्या 53 kg वाली को गोल्ड नहीं मिलता ??
थोड़े घी , बादाम और खाती तो थोड़ा और वज़न बढ़ भी जाता तो 57 kg वाली लड़ाई लड़ लेती ,, वहाँ पर भी तो 57 kg वाली पहलवान ही होती ना ,
देखो ये बातें इसलिए कर रही हूँ कि मुझे पहलवानी के बारे में जानकारी नहीं है , बस दिमाग़ में ये सब घूम रहा इसलिए आख़िर अब लिखने का मन बना लिया ,
हमारे लिए विनेश फोगाट देश को रिप्रेजेंट कर रही थी इस तरह अयोग्य घोषित होना देश के लिए और जो लोग उसको लेकर गये उनके लिए शर्मसार होने वाली बात है कि एक पहलवान को ये नहीं पता कि उसका वज़न कितना है , पहलवान तो छोड़ो भारत की ओलंपिक एसोसिएशन को नहीं पता कि विनेश फोगाट वज़न के हिसाब से किस कैटेगरी में फिट बैठती है ?
अरे भाई वज़न के हिसाब से उसकी कैटेगरी में लड़वा देते ,कम से कम कुश्ती तो होती , जीत हार कुछ तो होता ,
लेकिन अब क्या हुआ , कितना भी दुख मना लें , कितनी भी संवेदना प्रगट कर लें , शर्मसार होने वाली घटना तो है ,
ओलिपिक के नियम क़ानून पर उँगली उठाई जा रही हैं कि 100 grm के पीछे पहलवान को अयोग्य बता दिया ,,
बात 100 ग्राम की नहीं है , अपने नेचुरल वज़न से बहुत कम वज़न में जाकर बच्चों को पछाड़ने की कोशिश करना वाली हरकत है ,
ओलंपिक में महिलाओं के लिए सबसे कम वज़न 50 kg वाला होता है , अब विनेश का ज़्यादा था तो ज़्यादा वाली लड़ती ,
कोई दो राय। नहीं विनेश फोगाट अच्छी पहलवान है , हम वो गोल्ड मेडल दे सकती थी , पर मैनेजमेंट और विनेश फोगाट ने ख़ुद ईमानदारी नहीं बरती ,
बताओ अगले दिन कुश्ती है और खबरों में आ रहा कि सोने की जगह रात भर एक्सरसाइज , साइकिलिंग , स्टीमबाथ लेती रही ,
खाना पीना छोड़ दिया , पानी तक नहीं पिया , ऊपर से खबरें ये तक भी कह रही हैं कि ब्लड भी निकलवा लिया वज़न कम करने के लिए ,,
ऐसा क्या था 50 kg में लड़ने का , पहलवान है तो किसी से भी लड़ो ये जज़्बा होना चाहिए , हार जीत तो बाद की बात है ,
53 kg में लड़ती तो रात भर चैन से सोती , अगले दिन कुश्ती के हिसाब 250 ग्राम घी और पी लेती , टेंशन ही ना होती कि वज़न कम करना है ,,
अच्छा हुआ दारा सिंह पहलवान की सोच ऊपर के पहलवानों से लड़ने की थी इसलिए वज़न कम नहीं किया , वरना वज़न कम करने के चक्कर में कुश्ती हार जाते !