क्या आपकी औलाद भी ऐसी है
यह कहानी एक नौजवान लड़के की है जो गुस्से में अपने घर से निकल आया है और बड़बड़ा रहा है।

“छुपा कर रखते हैं सारे पैसे? एक मोटरबाइक ही तो मांगी थी मैंने, कोई ख़ज़ाना तो नहीं मांग लिया। ठीक है, कोई बात नहीं, अगर वो मुझे बाइक नहीं दिलाना चाहते तो मैं भी तब तक घर नहीं जाऊंगा जब तक कि मैं नई मोटरबाइक नहीं खरीद लेता!”
लड़का यह गुस्से में बड़बड़ाते हुए जा रहा था, तभी उसके पैरों में कुछ चुभा। उसने पैरों की तरफ देखा तो उसे अहसास हुआ कि वह जल्दी में अपने जूते की बजाय अपने पिता के जूते पहनकर आ गया है। उसने जूते चेक किए तो पाया कि जूते में से एक छोटी सी कील उभर आई है जो बार-बार उसे चुभकर घाव बनाने की कोशिश कर रही है।
गुस्से में वह फिर बड़बड़ाया, “मैं ठीक ही सोचता हूं, मेरे पिता सच में बहुत कंजूस हैं। देखो, कितने पुराने और घटिया क्वालिटी के जूते इस्तेमाल करते हैं! पता नहीं, सारा पैसा साथ लेकर जाएंगे क्या?”
लड़का अपने गुस्से और बौखलाहट में आगे बढ़ता रहा। थोड़ी दूर जाकर वह एक बगीचे में पहुंचा, जहां पर बेंच पर बैठ गया। तभी उसे याद आया कि वह अपने साथ अपने पापा का वॉलेट भी उठा लाया था। उसने सोचा, “आज पता चलेगा पापा पैसे कहां छुपा कर रखते हैं।”
जब उसने अपने पापा का वॉलेट खोला, तो उसमें महज 120 रुपये, एक फैमिली फोटो, और एक छोटी सी डायरी थी। डायरी देखकर लड़के ने सोचा, “अच्छा, तो इसमें छुपा कर रखे हैं सारे राज। इसमें लिखा होगा कि किससे कितने पैसे लेने हैं या किसको कितने पैसे दिए हैं।”
लड़के ने जब डायरी का पहला पन्ना खोला, तो उसमें लिखा था, “40,000 रुपये बेटे की पढ़ाई के लिए उधार।” यह पढ़कर लड़का शॉक हो गया। उसने दूसरा पन्ना खोला, जिसमें लिखा था, “50,000 रुपये उधार नए लैपटॉप के लिए।” यह वही लैपटॉप था जो पापा ने दो साल पहले उसे कॉलेज के लिए दिया था।
डायरी के इन दो पन्नों ने ही लड़के का गुस्सा पूरी तरह शांत कर दिया और उसके मन को पश्चाताप से भर दिया। लड़का एक-एक करके डायरी के पन्ने पलटता गया, और उसकी आंखों में आंसुओं की धार बहने लगी। उसे पता चलता गया कि पापा ने उसकी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कितना कर्ज लिया है।
अंत में, उसने पिछले दिन की तारीख वाला पन्ना खोला, जिसमें लिखा था, “50,000 रुपये बेटे की बाइक के लिए।” इस पन्ने को पढ़ते ही लड़के को एहसास हुआ कि वह इस दुनिया का सबसे बुरा बेटा है।
लड़के ने जब डायरी का आखिरी पन्ना खोला, तो उसमें लिखा था, “अच्छे जूते खरीदने हैं।” यह लाइन उसे समझ नहीं आई, लेकिन वह अब जल्द से जल्द अपने पिता से मिलना चाहता था। इसलिए वह बेंच से उठा और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसके पैरों में ठंडक महसूस हुई, जब उसने देखा कि उसके पिता के जूते नीचे से फटे हुए हैं, और पानी रिसकर पैरों तक पहुंच रहा है। वह समझ गया कि कील से उसे जो चोट लगी थी, वह उसके पिता की वजह से नहीं, बल्कि हालात की मजबूरी से थी।
बेटे को मां की वह बातें याद आईं, जब मां पापा से कहती थीं, “अब तो नए जूते ले लो, ये कितने पुराने हो गए हैं।” और पापा हर बार यह कहकर टाल देते थे, “अभी तो लिए हैं, कुछ साल और चल जाएंगे।” लड़के ने जूते उतारकर फेंक दिए और फूट-फूट कर रोने लगा।
फिर वह तेजी से अपने घर की ओर दौड़ा, न जाने उसमें इतनी ताकत कहां से आ गई कि वह लंबा रास्ता होने के बावजूद थोड़ा भी नहीं थका और सीधे अपने घर जाकर रुका। घर जाकर उसे पता चला कि पापा घर पर नहीं हैं, लेकिन उसे पता था कि पापा कहां मिलेंगे। वह तुरंत पास के बाइक डीलर के शोरूम पर गया, जहां उसका पिता उसके लिए नई गाड़ी खरीद रहा था।
लड़का दौड़कर अपने पिता के गले लग गया और फूट-फूट कर रोने लगा। जब पिता ने पूछा कि क्या हुआ, तो लड़के ने माफी मांगी और कहा, “मुझे बाइक नहीं चाहिए, इन पैसों से आप अपने लिए नए जूते खरीद लीजिए।” उसने वादा किया कि वह कड़ी मेहनत करेगा और पिता का सारा कर्ज चुका देगा।
पिता की आंखों में भी खुशी के आंसू आ गए।
दोस्तों, माता-पिता की मजबूरियों को समझने की कोशिश करें, क्योंकि वे हमारे लिए बहुत कुछ सहते हैं।