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यूरोपीय धरती पर गुजरात की अस्मिता और संस्कृति को जीवंत रख रही है सूरत की लज्जा शाह

सूरत. गुजरातियों की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में फैल हुई है। गुजरातियों ने कई देशों को कर्मभूमि बनाया है। कई गुजराती ऐसे है जो विदेश में रहते हुए भी

सदैव गुजरात की अस्मिता और संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास करते हैं। उन्हीं लोगों में सूरत के मूल निवासी लज्जा शाह भी शामिल हैं, जिन्होंने बेल्जियम के एंटवर्प शहर को कर्म भूमि बनाया है। उन्होंने नवरात्रि पर्व पर बेल्जियम में स्वयं कोरियोग्राफ किए लोक नृत्यों के माध्यम से इस नवरात्रि पर्व में न सिर्फ रंग भरा बल्कि, यूरोपियन को खूब झुमाया।

लज्जा शाह ने बताया कि एंटवर्प इंडियन लेडीज कमेटी की ओर से इस साल एंटवर्प में नवरात्रि समारोह का आयोजन किया गया था। उन्हें ओपनिंग इवेंट के लिए नियुक्त किया गया था। लज्जा शाह ने नवरात्रि की ओपनिंग इवेंट को इस तरह से आयोजित करने का निर्णय किया कि जो यादगार बन जाए और विशेष रूप से गुजरात की संस्कृति को दर्शाए। उन्होंने इसके लिए गुजरात के लोक नृत्यों को कोरियोग्राफ करने का फैसला किया और गुजरात के लगभग 15 लोक नृत्यों को कोरियोग्राफ किया। इस कार्यक्रम में बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक 250 लोगों ने हिस्सा लिया। लोक नृत्य में गरबा के साथ-साथ हुडो, कच्छी रास, सनेडो जैसे लोक नृत्य तैयार किए और यह कार्यक्रम एक से डेढ़ घंटे तक चला और पूरा माहौल गुजराती हो गया। पूरे आयोजन ने यूरोपवासियों को न केवल आकर्षित किया बल्कि रोमांचित भी किया। लज्जा शाह ने कहा कि लोग गुजरात के गरबा को केवल लोक नृत्य के रूप में जानते हैं, लेकिन मैंने गुजरात के 20 लोक नृत्यों में से 15 लोक नृत्यों की कोरियोग्राफी की और बेल्जियम में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ यूरोपीय लोगों को गुजरात के विभिन्न लोक नृत्यों से परिचित कराया।

सूरत में दो lडिया क्लास चलाती थी लज्जा शाह :-

लज्जा शाह मूल रूप से सूरत की रहने वाली हैं। जब वह 18 साल की थी तो वह मल्हार नाम से सूरत में दोडिया गरबा क्लास चलाती थी। पिछले 12 वर्षों से लज्जा बेल्जियम में स्थाई हुई हैं और यूरोप में गरबा के साथ-साथ गुजरात के लोकनृत्य भी सिखाती हैं। यूरोप के साथ-साथ एंटवर्प में भी उनके बड़ी संख्या में छात्र हैं। इतना ही नहीं वे ऑनलाइन क्लास के जरिए लोगों को डांस भी सिखा रही है।

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