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कहानी तुम्हारे घर की!
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कहानी तुम्हारे घर की!

सुबह 10 बजे तक सोने वाली और बार-बार उठाने पर भी “थोड़ी देर और सोने दो ना!” कहने वाली *प्रियंका* आज भोर में 6 बजे ही उठ गई थी। इतना ही नहीं, उसने सबके लिए चाय बनाई, पेपर लेकर आई, बगीचे में पानी दिया और पापा को सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए भी उठाया!
सभी लोग *प्रियंका* को बड़े आश्चर्य से देख रहे थे, सबका एक ही सवाल था, “*प्रियंका* तुम ये क्या कर रही हो?” *प्रियंका* ने धीरे से जवाब दिया, “3 महीने हो गए हैं मेरी शादी तय हुए। वहां पर कौन होगा मेरे आगे-पीछे घूमने वाला? वहां तो सब मुझे ही करना होगा। बस इसलिए आज से शुरू कर दिया।”
घर की बेटी को इतना समझदार होते हुए देख सबको खुशी हो रही थी और साथ-साथ बुरा भी लग रहा था! बुरा लगने जैसी बात भी थी क्योंकि अब वह हमेशा के लिए उन्हें छोड़कर अपने ससुराल जाने वाली थी।
एक और महीना बीत गया और आखिरकार *प्रियंका* की शादी हो गई। वह अपने ससुराल आ गई। सुबह समय पर जाग पाएगी या नहीं, इसी विचार में वह रात भर सो ही नहीं पाई। सुबह होते ही उसने नहाया, पूजा की, और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। वह सोचने लगी कि आज खाने में क्या बनाया जाए जो बड़े और बच्चे दोनों को पसंद आए?
तभी पीछे से एक मीठी आवाज आई। *प्रियंका* ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी *सासुमा* थी। “अरे बेटा, इतनी जल्दी क्यों उठ गई? शादी की भाग-दौड़ में थक गई होगी, ऊपर से घरवालों की याद भी आती होगी और मैं जानती हूं रात को ठीक से सो भी नहीं पाई होगी। ऐसे तो तुम्हारी तबीयत खराब हो जाएगी।”
*प्रियंका* मन ही मन सोचने लगी, “मेरी *सासू मां* तो बिल्कुल वैसी नहीं हैं जैसी मैं सोच रही थी! मैं तो डर के मारे कितने दिनों से सुबह जल्दी उठने का प्रयास कर रही थी! यहां तो परिस्थिति बिल्कुल अलग है।”
*प्रियंका* ने कुछ काम खत्म ही किया था कि तभी *सासुमा* ने आवाज दी। “बेटा, इधर आओ देखो तो सही मैं क्या बना रही हूं.. मटर पनीर, पराठा और गाजर का हलवा…” “अरे वाह, यह तो सभी मेरी फेवरेट डिश है!” *प्रियंका* बोली। उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसे लग रहा था जैसे यह सब सपना है!
*प्रियंका* को एहसास हुआ कि यह सपना नहीं सच है। *सासुमा* ने कुछ कहा, *प्रियंका* सुन नहीं पाई, वह थोड़ी डर गई। उसे डरा हुआ देखकर *सासुमा* ने कहा, “*प्रियंका*, जरा इधर तो आओ, यहां तो बैठो। मेरी बात ध्यान से सुनो और समझो। शादी मतलब लड़की की परीक्षा नहीं होती है। तुम्हारी शादी सिर्फ मेरे लड़के से नहीं हुई है। जितनी जिम्मेदारी उसकी तुम्हें खुश रखने की है, उतनी ही हम सबकी भी। हमने तुम्हें घर सिर्फ काम करने के लिए नहीं लाया है। तुम्हें क्या-क्या आता है? या तुम हमारे लिए क्या कर सकती हो? यह सब देखने के लिए तो बिल्कुल नहीं। और हम तुम्हारी आजादी भी तुमसे नहीं छीनेंगे। अगर अपनी बात करूं तो मुझे सिर्फ एक अच्छी फ्रेंड चाहिए थी। मैं बिल्कुल नहीं मानती कि बहू ने सुबह-सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करना चाहिए! और मैं यह भी नहीं मानती कि बहू को बहुत अच्छा खाना पकाना आना चाहिए। शादी का मतलब तुम्हारे सपनों का बलिदान बिल्कुल भी नहीं हो सकता। बल्कि मैं तो कहूंगी कि शादी का मतलब तुम्हारे सपनों को और ज्यादा ऊंची उड़ान देना होना चाहिए। हम सब हमेशा तुम्हारे साथ हैं, हर दिन, हर पल…”
*प्रियंका* की शादी को अब 10 साल बीत चुके थे। इन 10 सालों के सफर में उसने जो अनमोल रिश्ते कमाए थे उनमें से एक थी *मां*। जी हां, वही *सासू मां* जो अब उसकी *मां* बन चुकी थी। *प्रियंका* ने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे थे, लेकिन उसके मन में यह एक सोच बहुत पक्की बैठ चुकी थी कि जब भी उसके लड़के की शादी होगी और वह घर में बहू लाएगा, तो वह भी अपनी *सासू मां* की तरह ही अपनी बहू के साथ व्यवहार करेगी।
टीवी सीरियल्स में सास-बहू को जिस तरह दिखाया जाता है, वह वास्तविकता नहीं है। समय के साथ लोग बदलते हैं, लोगों के विचार बदलते हैं। कुछ गलत लोग जरूर जीवन में आते हैं, लेकिन सभी गलत हों, ऐसा जरूरी नहीं। आखिर में यही कहूंगी कि बहू मतलब बेटी ही होती है। गलतियां तो हर किसी से होती हैं, इसलिए बहू के साथ भी वैसा ही व्यवहार करें जैसा खुद की बेटी के साथ करते हैं।

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