अहमदाबाद, 14 दिसंबर: फिल्म निर्माता संजय सोनी ने अपनी पहली ही फिल्म- हाहाकार- के साथ गुजराती फिल्म उद्योग में अपनी धमक दर्ज की है। बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई इस अनूठी फिल्म के पीछे की प्रेरणा और चुनौतियों के साथ निर्माता बनने के अनुभव को उन्होने साझा किया।
संजय ने कहा, “हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। एक निर्माता के रूप में मेरी सफलता का पूरा यश मेरी पत्नी कृपा को जाता है।”
सोनी ने उन्हे एक “सफल निर्माता महिला” का खिताब देते हुए कहा कि फिल्म निर्माण यात्रा के हर कदम पर वह उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी रहीं। “मैं फिल्म की सफलता का श्रेय इस फिल्म को देख कर सराहने वाले दुनिया भर के गुजरातियों को देने के साथ-साथ मेरी पत्नी और निर्माता कृपा सोनी को भी देता हूं।”
हाहाकार, एक ऐसी अनोखी गुजराती फिल्म साबित हुई है जिसमें न तो कोई ट्रेडिशनल फिल्म जैसी हीरोईन थी, न ही अर्बन गुजराती फिल्मों में बताई जाने वाली कोई प्रेम कहानी । शुरुआत में तो सोनी को भी इसकी सफलता के बारे में संदेह था।
उन्होंने स्वीकार किया, “मुझे भी विश्वास नहीं हो रहा था कि क्या बिना किसी लव स्टोरी या नायिका के भी फिल्म हिट हो सकती है।”
गुजराती फिल्मों के सुपरस्टार मल्हार ठाकर के सचोट मार्गदर्शन, पवन शुक्ला की उत्साही जुगाड़ मीडिया टीम के सहयोग और मयंक गढ़वी के शानदार अभिनय ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया। इस प्रोजेक्ट के प्रति उनके जुनून को फिर से जगाया। सोनी ने यह भी बताया कि कैसे दशकों पहले निर्माता बनने का उनका सपना पूरा हुआ।
” वर्ष 1992 में, शाहरुख खान की फिल्म दीवाना की शूटिंग के दौरान मैंने देखा की उनको देखने के लिए भारी भीड़ उमटी थी। इस अफरा-तफरी के बीच भी फिल्म का निर्माता चुपचाप एक कोने में बैठा हुआ था । वह अपने सपने को हकीकत बनते देख रहा था। वह छवि मेरे मन पर अंकित हो गई । उस पल के बाद से मैं एक निर्माता बनने का सपना संजोने लगा । आज, हाहाकार के माध्यम से मैंने वह सपना पूरा कर लिया है।”
पहली बार के निर्माता के रूप में सोनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि फिल्म की रिलीज़ डेट कौनसी रखी जाय। सोशल मीडिया पर फिल्म का “मधरो दारू” गाना वायरल हो गया। निर्देशक और अभिनेताओं सहित कोर टीम ने गाने की लोकप्रियता को भुनाने के लिए रिलीज़ को टालने को कहा। सोनी ने अपनी सूझबूझ पर भरोसा किया और वह फैसला सही साबित हुआ।
“अगर मैंने निश्चित की गई डेट पर रिलीज़ के लिए दबाव डाला होता तो शायद इतनी ज़बरदस्त सफलता संभव नहीं होती। मैं निर्देशकों और अभिनेताओं को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने की आज़ादी देने में विश्वास करता हूँ।”
एक निर्माता के तौर पर उन्हें मिले प्यार और समर्थन को देखते हुए सोनी कहते हैं कि गुजराती दर्शकों के प्रति मेरी ज़िम्मेदारी अब और बढ़ गई है । सोनी ने कहा, “गुजराती फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रतिभा की कोई भी कमी नहीं है। अब मेरा पूरा फोकस इस बात पर रहेगा कि गुजराती भाषा में ही दर्शकों की पसंद की अधिक से अधिक ब्लॉकबस्टर देनी हैं।”
हाहाकार के साथ, संजय सोनी ने, जो जीवन भर संजोकर रखा था, ऐसे सपने को पूरा करने के साथ, गुजराती सिनेमा जगत में एक नया माईलस्टोन स्थापित किया है। सोनी ने साबित किया है कि इनोवेशन और पेशन ही सफलता की ओर ले जाने के रास्ते हैं।
संजय सोनी की यात्रा के बारे में अधिक जानने के लिए इस इंस्टाग्राम रील देखें: https://www.instagram.com/reel/C-4j1epvFAk/?igsh=c3ZmcGV3eGZndXB3