Jansansar
राष्ट्रिय समाचार

प्रमुख चिकित्सा शोधकर्ता, प्रो. एचएस असोपा का निधन, उनकी योगदान से समृद्धि और सम्मान से भरा चिकित्सा समुदा

आगरा के जाने-माने सर्जन प्रो. एचएस असोपा का निधन, डाक्टर बीसी राय नेशनल अवार्ड से हुए थे सम्मानित

प्रो. एचएस असोपा का बुधवार सुबह निधन हो गया। डॉ विजय किशोर बंसल (समाजसेवी)ने डॉ अशोपा की मृत्यु पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह चिकित्सा क्षेत्र में एक बहुत बड़ी क्षति है। हम सभी अश्रुपूर्ण श्रृद्धांज्जलि देते हैं। आगरा। शल्य चिकित्सकों के पितामह, बच्चों की मूत्रमार्ग की जन्मजात विकृति की सर्जरी के लिए असोपा टेक्निक देने वाले प्रो. एचएस असोपा का बुधवार सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे और कुछ दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे।

झांसी में सर्जरी विभाग के रहे थे विभाग अध्यक्ष

गैलाना रोड स्थित असोपा हास्पिटल के संचालक प्रो. एसएस असोपा ने एसएन मेडिकल कालेज से एमबीबीएस और एमएस करने के बाद चिकित्सा शिक्षक के पद पर ज्वाइन किया। इसके बाद झांसी मेडिकल कालेज में सर्जरी विभाग के अध्यक्ष रहे। उन्होंने बच्चों के मूत्रमार्ग का रास्ता टेढ़े होने की जन्मजात विकृति हाइपोस्पेडियास की सर्जरी के लिए असोपा टेक्निक विकसित की। इस टेक्निक में समय समय पर कई अपडेट भी किए गए और दुनिया भर में हाइपोस्पेडियास से पीड़ित बच्चों के लिए सबसे अच्छी सर्जरी की विधि मानी जाती है। हर 300 बच्चों में एक बच्चे को इसी तरह की समस्या होती है।

मिले थे कई अवार्ड

जून 1971 में असोपा टेक्निक जर्नल आफ इंटरनेशनल सर्जरी में प्रकाशित हुई। प्रो. एचएस असोपा को डा. बीसी राय नेशनल अवार्ड सहित कई अवार्ड मिल चुके हैं। एसोसिएशन आफ सर्जन्स आफ आगरा के पूर्व अध्यक्ष डा. सुनील शर्मा ने बताया कि प्रो. असोपा सर्जन के लिए पितामह थे, जब भी किसी सर्जन का केस बिगड़ जाता था, वे उसके हास्पिटल पर पहुंच जाते थे और खुद सर्जरी करते थे। इस बारे में वे कभी भी किसी को बताते तक नहीं थे।

उनके बड़े बेटे रवि असोपा आस्ट्रेलिया और बेटी अर्चना अमेरिका में हैं, यहां वे छोटे बेटे डा. ज्योति असोपा और डा. पुनीता असोपा के साथ रह रहे थे। उनके विदेश से आने पर गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार होगा। आइएमए, आगरा के सचिव डा. पंकज नगाइच का कहना है कि यह चिकित्सा जगत के लिए बड़ी क्षति है। डाक्टरों ने शोक व्यक्त किया है।

दुनिया भर में यूरोलॉजिस्ट (urologist) द्वारा सार्वभौमिक रूप से अपनाया जा रहा है। इसने यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर सर्जरी को करना आसान और सुरक्षित बना दिया। यह संदर्भ पुस्तकों और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में दिखाई देता है। इसे यूरोप और अमेरिका में रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलॉजिस्ट (urologist) के बीच ‘डोर्सल इनले यूरेथ्रोप्लास्टी’ या ‘असोपा तकनीक’ के रूप में लोकप्रिय बनाया गया है। दुनिया भर के कई विश्वविद्यालय इस तकनीक को एक प्रमुख तकनीक के रूप में मान्यता दे रहे हैं। वर्ष 2002 में ‘द अमेरिकन जर्नल ऑफ सर्जरी’ (The American Journal of Surgery) में आविष्कार और प्रकाशित एक और ऑपरेशन ने अग्न्याशय के कैंसर के लिए अग्न्याशय की सर्जरी को सुरक्षित बना दिया।

डॉ. असोपा (Dr. Asopa) को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया। उनके व्याख्यान और जटिल ऑपरेशन की फिल्में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और वेबसाइटों पर दिखाई जाती हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में 50 से अधिक संस्थानों और प्री कॉन्फ्रेंस कार्यशालाओं में इन ऑपरेशनों का प्रदर्शन किया।

Related posts

नई ‘भारतीय-भाषा’ बनाइए। भाषा का झगड़ा मिटाईए।

AD

HDFC बैंक ने गणतंत्र दिवस से पूर्व सूरत, अहमदाबाद और वडोदरा में निकाली तिरंगा यात्रा

AD

EPFO New Rule: जानें ईपीएफओ के नए नियम और प्रोफाइल अपडेट करने की आसान प्रक्रिया

Ravi Jekar

WEF 2025: ऐतिहासिक निवेश और रोजगार का बड़ा अवसर

Ravi Jekar

डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण: मुकेश और नीता अंबानी मुख्य मंच पर होंगे शामिल

AD

वलसाड जिले के 6 एसटी ड्राइवरों को बिना दुर्घटना के सेवाकाल के लिए सम्मान

AD

Leave a Comment