प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 04 सितंबर को ब्रुनेई में चीन को एक स्पष्ट और सख्त संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि भारत केवल विकास की नीति का समर्थन करता है, न कि विस्तारवाद की नीति का। यह बयान भारत की विदेश नीति और उसके क्षेत्रीय संबंधों के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण को दर्शाता है, विशेषकर चीन के साथ सीमा विवादों के संदर्भ में।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा, “हम विकास का समर्थन करते हैं, विस्तारवाद का नहीं। भारत का मानना है कि सभी देशों को समानता और समान अवसरों के आधार पर विकास करना चाहिए। विस्तारवाद की नीति किसी भी देश की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है।” इस बयान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि भारत के लिए शांति और सहयोग की नीति सर्वोच्च प्राथमिकता है, और किसी भी प्रकार के विस्तारवादी प्रयासों का वह समर्थन नहीं करेगा।
चीन के साथ सीमा पर मौजूदा तनाव और विवादों के बीच, यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदेश के माध्यम से भारत की दृढ़ स्थिति को दोहराया कि क्षेत्रीय विवादों को शांति और वार्ता के माध्यम से हल किया जाना चाहिए, न कि बल के प्रयोग या विस्तारवादी नीतियों के द्वारा।
भारत की यह नीति क्षेत्रीय स्थिरता और विश्व शांति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करता है और चीन के विस्तारवादी दृष्टिकोण पर नकेल कसने के लिए एक मजबूत संदेश भेजता है।