बेंगलुरु: एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद से सोशल मीडिया पर #MenToo और #JusticeForAtulSubhash जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं। इस मामले ने सोशल मीडिया पर पुरुषों के खिलाफ हो रहे कथित भेदभाव और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके परिवार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम शामिल है। पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है।
वीडियो में अतुल ने बताई अपनी पीड़ा
अतुल ने आत्महत्या से पहले एक 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने अपनी पीड़ा और उत्पीड़न का जिक्र किया। वीडियो में अतुल ने कहा कि अगर उसके उत्पीड़क निर्दोष साबित हुए तो उसकी हड्डियों को कोर्ट के बाहर नाले में फेंक दिया जाए। वीडियो के वायरल होने के बाद से इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
अतुल की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लोग #MenToo और #JusticeForAtulSubhash का समर्थन करते हुए गुस्से में हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “भारत में पुरुष होना एक गुनाह है।” वहीं, एक अन्य ने कहा, “हमारी न्याय व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि हमें न्याय की उम्मीद नहीं रहती।” सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोग पुरुषों के मानसिक दबाव और उनके संघर्षों को अनदेखा करने की आलोचना कर रहे हैं।
एनसीआरबी डेटा पर चर्चा
यह घटना एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के उन आंकड़ों के बीच सामने आई है, जिसमें आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं से तीन गुना ज्यादा पाई गई है। 2021 में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 81,063 पुरुष थे, जबकि 28,680 महिलाएं आत्महत्या करने वालों में थीं। यह आंकड़ा पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और आत्महत्या के मामलों को लेकर गंभीर सवाल उठाता है।
कानूनी कार्यवाही और मांग
इस मामले में अब एक महिला आयोग के गठन की मांग की जा रही है, ताकि पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके संघर्षों को समझा जा सके। साथ ही, इस मामले को लेकर कानूनी प्रणाली में सुधार की भी बात की जा रही है, ताकि ऐसे मामलों में पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सके।
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने समाज में पुरुषों के खिलाफ बढ़ते दबाव और उत्पीड़न को उजागर किया है, और इस मुद्दे पर अब तक की सबसे बड़ी बहस को जन्म दिया है।