दिल्ली, 13 दिसंबर: उनके व्याख्यान में इस बात की ज्वलंत तस्वीर पेश की गई की कैसे पीएम मोदी के दूरदश नेतृत्व के तहत भारत की सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध नीतियों और कार्यक्रमों ने पिछले एक दशक में भारत में 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय दर्शकों ने इस बात का दिलचस्प विवरण देखा कि कैसे भारत ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परियोजना में दक्षता, पारदर्शिता और परिणाम बढ़ाने केलिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है, जैसा कि आईएएस अधिकारी सोनल गोयल ने खचाखच भरी सभा को सम्बोधित किया।
2008 बैच के त्रिपुरा कैडर के आईएएस अधिकारी को ‘परियोजना प्रबंधन की कला और विज्ञान: भारत से सबक’ विषय पर व्याख्यान देने केलिए आमंत्रित किया गया था।
सोनल गोयल ने साझा कियाा कि उन्होंने अपने व्याख्यान की शुरुआत भारत की पिछली चुनौतीयो की एक मार्मिक याद के साथ की – कि कल्याण व्यय में प्रत्येक रुपये का के वल 15 पैसा ही लाभार्थियों तक पहुंचता है, और 2014 में डिजिटल इंडिया मिशन के लॉन्च होने तक अक्षमताएं कैसे बनी रहीं, जो एक साहसिक पहल थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इन प्रणालीगत खामियों को दूर किय जा रहा है।
उन्होंने जन धन योजना के बारे में विस्तार से बताया, जिसने 50 करोड़ से अधिक नागरिकों को बैंकिंग दायरे में लाया और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की नींव रखी। और कैसे इस कदम ने लाखों लोगों को सशक्त बनाया, सब्सिडी और कल्याणकारी लाभ बिना बिचौलियों के सही प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचाकर गरीबी से बाहर आए।
अपने व्याख्यान में, गोयल ने आधार, यूपीआई, स्मार्ट सिटीज मिशन, पीएम-जल जीवन मिशन जैसी परियोजनाओ के सफल डिज़ाइन और कार्यान्वयन पर भी बात की और बताया कि कैसे संचार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता में महत्वपूण भूमिका निभाई।
सोनल ने भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को 2014 में 91,287 किमी से दिसंबर 2023 तक प्रभावशाली 1,46,145 किमी तक विस्तारित करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की महत्वपूण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने एआई और ब्लॉकचेन का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किय। भूलेख जैसी पहल में प्रौद्योगिकी, भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और सुरक्षा में क्रांति लाती है, जिससे शासन, पारदर्शिता और सेवा वितरण में वृद्धि होती है।
कुछ लोग इस तथ्य पर बहस करेंगे कि भारत के परिवर्तनकारी कार्यक्रमों ने संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पिछलेे दशक में भारत में 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर न केवल इसके घरेलू परिदृश्य को नया आकार दिया है, बिल्क अन्य देशों केलिए मॉडल के रूप में वैश्विक मान्यता भी प्राप्त की है।
लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिट में दर्शकों केलिए, गोयल का व्याख्यान प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक दोनों था, क्योकि इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि कैसे नया भारत 2047 तक एक विकसित भारत के दृिष्टकोण की दिशा में अपना रास्ता बना रहा है।
अपने व्याख्यान के बाद सोनल ने गिल्डहॉल स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर अरविंद उपाध्याय को अपनी पुस्तक ‘नेशन कॉलिंग’ भी भेंट की।
अपने लंदन दौरे के हिस्से के रूप में, सोनल ने एक व्याख्यान भी दिया और वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में एक पैनल चर्चा में भाग लिया जहां उन्होंने ‘युवाओं को सशक्त बनाने और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने’ पर बात की।