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सच्ची बहादुरी का सामना

100 साल पहले की बात है एक गांव में एक आदमी रहता था जिसे उसकी हरकतों और स्वभाव के कारण सभी लोग “कायर” कहने लगे थे। कोई भी उसे उसके असली नाम से नहीं बुलाता था, सभी उसे सिर्फ “कायर” कहकर ही पुकारते थे। इस नाम से वो खुद भी परेशान हो गया था, इसलिए उसने एक दिन अपने आप को बदलने का निश्चय किया।
उसने गांव के एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु के बारे में सुना था, तो वह उनके पास गया। उसने गुरुजी को अपनी आपबीती सुनाई और उनसे विनती की, “गुरुजी, कृपया मुझे बहादुरी सिखाइए ताकि मैं इस ‘कायर’ नाम के कलंक को हमेशा के लिए मिटा सकूं।
गुरुजी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और कहा, “मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा, लेकिन इसके लिए तुम्हें एक काम करना होगा।
आदमी ने तुरंत कहा, “गुरुजी, आप जो भी कहेंगे मैं करूंगा, बस मुझे जल्द से जल्द इस कायर नाम से छुटकारा चाहिए।
गुरुजी बोले, “तुम्हें एक महीने तक किसी और गांव में जाकर रहना होगा और वहां हर उस व्यक्ति से, जिससे भी तुम्हारी मुलाकात हो, जोर-जोर से कहना होगा कि ‘मैं कायर हूं’।
गुरुजी की यह शर्त सुनकर आदमी के चेहरे पर चिंता और घबराहट साफ दिखाई देने लगी। वह असमंजस में था, लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। वह घर लौट आया और कई दिनों तक इसी बात पर विचार करता रहा कि ये काम करे या न करे। लेकिन आखिरकार उसने सोचा कि जीवनभर कायर कहलाने से अच्छा है एक महीने तक गुरुजी का कहा मान लेना।
शुरुआत में उसे बहुत घबराहट होती थी। उसके मुंह से शब्द नहीं निकलते थे और वह कांपने लगता था। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उसकी घबराहट कम होने लगी। अब उसकी आवाज़ में दम आने लगा था और वह किसी की आंखों में आंखें डालकर निडर होकर अपनी बात कहने लगा।
एक महीना पूरा होने के बाद वह गुरुजी के पास वापस लौटा और खुशी-खुशी बोला, “गुरुजी, अब मेरे अंदर की कायरता पूरी तरह से जा चुकी है। अब मैं किसी से नहीं डरता मैं अब कुछ भी कर सकता हूं। लेकिन एक बात समझ नहीं आई, आपने कैसे जान लिया कि ऐसा काम करने से मैं बहादुर बन जाऊंगा?
गुरुजी मुस्कराए और बोले, “व्यक्ति तभी बहादुर बनता है जब वह उन चीजों का डटकर सामना करता है जिनसे उसे सबसे ज्यादा डर लगता है। इसलिए जब तुमने अपनी सबसे बड़ी कमजोरी का सामना किया, तो तुम्हारी कायरता खुद-ब-खुद खत्म हो गई।
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची बहादुरी डर का सामना करने से आती है। जब हम अपने सबसे बड़े डर को स्वीकार कर उससे निडर होकर लड़ते हैं, तब ही हम अपने अंदर छुपी ताकत को पहचान पाते हैं।

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