30 अगस्त को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के भविष्य को लेकर स्पष्ट टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ ‘निरंतर’ बातचीत का युग समाप्त हो चुका है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के साथ अब असीमित संवाद की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है। कार्रवाई के परिणाम होते हैं।”
जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि धारा 370 का निरस्त होना एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने बताया कि अब यह सवाल है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते पर विचार कर सकते हैं। उनका कहना था, “मैं जो कहना चाहता हूं वह यह है कि हम निष्क्रिय नहीं हैं और मौसम की घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा लेती हैं। किसी भी तरह से, हम प्रतिक्रिया देंगे।”
उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ बातचीत के पुराने ढंग को समाप्त कर चुका है और भविष्य की रणनीति को लेकर सजग है। उन्होंने संकेत दिया कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर भारत की नीतियां और दृष्टिकोण अब अधिक सक्रिय और परिणामकारी होंगे, न कि केवल संवाद पर आधारित। जयशंकर का यह बयान दोनों देशों के बीच वर्तमान तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए महत्वपूर्ण है और दर्शाता है कि भारत की कूटनीतिक रणनीति में बदलाव आया है।