दोस्तों, आप कभी #रेगिस्तान गए हो? चलो मान लेते हैं कि गए होंगे, और अगर नहीं भी गए, तो #टीवी या फिल्मों में जरूर देखा होगा। आपने यह भी ध्यान दिया होगा कि रेगिस्तान में ज्यादा #हरे-भरे पेड़-पौधे नहीं होते। हां, अगर होते भी हैं, तो कांटेदार या #कैक्टस जैसे छोटे-छोटे पौधे या झाड़ियां। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये बातें क्यों बता रहे हैं? दरअसल, आज की #कहानी का वास्ता भी इसी से है। चलिए, पढ़ते हैं आज की कहानी…
एक बड़े रेगिस्तान में एक छोटा सा #कैक्टस का पौधा था। उसकी थोड़ी ही दूरी पर एक बहुत ही #सुंदर गुलाबी रंग का #गुलाब का पौधा था। गुलाब को अपने रंग-रूप पर बड़ा #घमंड था। बात इतनी होती, तो भी ठीक था, लेकिन उसे बिना वजह कैक्टस से नफरत थी। वह बार-बार कैक्टस का मजाक उड़ाता, ताने मारता, पर कैक्टस कुछ नहीं कहता, बस चुपचाप सहता रहता।
आसपास के दूसरे पौधे गुलाब को समझाते, “तुम कैक्टस का तिरस्कार क्यों करते हो? इसमें उसकी क्या गलती है कि वो सुंदर नहीं दिखता?” लेकिन #घमंडी गुलाब किसी की सुनता ही नहीं था।
फिर एक दिन ऐसा आया जब #रेगिस्तान में कई दिनों तक बारिश नहीं हुई। धीरे-धीरे पानी की इतनी किल्लत हो गई कि सारे पौधे #मुरझाने लगे। गुलाब का भी वही हाल होने लगा।
एक दिन गुलाब ने देखा कि एक चिड़िया कैक्टस की ओर बढ़ी और अपनी चोंच कैक्टस के अंदर डालकर #पानी पीने लगी। अब गुलाब को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह हिचकिचाता हुआ कैक्टस के पास गया और उससे थोड़ा पानी मांगा। कैक्टस, जो पहले से ही भला था, गुलाब की गलतियों को भूल गया और उसे #पानी देकर उसकी मदद की।
दोस्तों, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सिर्फ ऊपरी #रूप-रंग कुछ मायने नहीं रखता। असली #मूल्य व्यक्ति के स्वभाव में होते हैं। इसलिए हमें किसी का #मजाक या तिरस्कार करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए, हो सकता है कि हमारी सोच गलत हो और सामने वाला सही।