एक महिला, जिसने हाल ही में अपने पति को खोया था, हर दिन की तरह उसकी कब्र के पास बैठकर उसे याद कर रो रही थी। कुछ दूरी पर एक किसान अपने खेत में बैलों की मदद से हल चला रहा था। वह कई दिनों से उस महिला को देख रहा था और उसके मन में लालसा थी। एक दिन किसान ने अपना काम अधूरा छोड़कर महिला के पास जाकर रोना शुरू कर दिया।
महिला ने पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?”
किसान ने कहा, “मैंने हाल ही में अपनी पत्नी को खो दिया है। उसे याद करके रोने से मुझे अच्छा लगता है।”
महिला ने जवाब दिया, “और मैं अपने पति को याद कर रही हूँ,” और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
कुछ देर बाद किसान बोला, “तुम और मैं एक जैसे हैं, तो क्या तुम मुझसे शादी करोगी? तुम मेरी पत्नी का स्थान लोगी और मैं तुम्हारे पति का।”
महिला सोच में पड़ गई, फिर उसे किसान का प्रस्ताव सही लगा, और उसने हाँ कह दी।
लेकिन इसी बीच चोर ने किसान के बैल चुरा लिए। जब किसान को इसका पता चला, तो वह सच में जोर-जोर से रोने लगा।
महिला ने उसकी स्थिति देखकर कहा, “मुझे तुम्हारा दुख समझ आता है।”
किसान ने जवाब दिया, “हां, और इस बार सच में दुख हो रहा है!”
सीख
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि वास्तविक दुख तब महसूस होता है जब हमारी खुद की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। दूसरों के दुख को समझना और साझा करना आसान होता है, लेकिन जब हमारी खुद की समस्याएं सामने आती हैं, तब हम सच्चे भावनाओं और कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। इसलिए, दूसरों की समस्याओं के प्रति सहानुभूति और समझ होना आवश्यक है, लेकिन अपनी समस्याओं को सही तरीके से संभालना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।