व्हाइट लोटस इंटरनेशनल स्कूल में वर्ल्ड आर्ट डे के अवसर पर छात्रों की कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस विशेष दिन को विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा और अभिव्यक्ति के रूप में मनाया गया, जहाँ उन्होंने अपने विचारों और भावनाओं को रंगों और आकृतियों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों की रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना और उन्हें स्वतंत्र रूप से अपनी कल्पनाओं को अभिव्यक्त करने का अवसर देना था। स्कूल का मानना है कि हर बच्चा अपने आप में एक कलाकार होता है—उसे बस एक मंच और प्रेरणा की आवश्यकता होती है।
इस अवसर पर कई कलात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें सबसे खास रही “पेबल आर्ट”। बच्चों को छोटे-छोटे पत्थर दिए गए, जिन्हें उन्होंने रंगों और अपनी कल्पनाओं की सहायता से सुंदर कलाकृतियों में बदल दिया। कुछ ने जानवर बनाए, कुछ ने परिदृश्य, और कुछ ने रंग-बिरंगे डिजाइन। यह गतिविधि इस बात का प्रमाण थी कि साधारण वस्तुओं में भी जब कल्पनाशक्ति जोड़ी जाए तो अद्वितीय कला जन्म लेती है।
दूसरी प्रमुख गतिविधि थी “कोलाज मेकिंग”, जिसमें छात्रों ने पुराने अखबारों, पत्रिकाओं, कपड़ों, सूखे पत्तों और रंगीन कागज़ों का उपयोग करके अपनी कल्पनाओं को चित्रों में ढाला। हर कोलाज अपने आप में एक कहानी कहता नज़र आया—कभी प्रकृति की, कभी परिवार की, तो कभी सपनों की। इस प्रक्रिया ने न केवल उनकी सौंदर्य भावना को विकसित किया, बल्कि दृश्य अभिव्यक्ति और रचनात्मक सोच को भी मज़बूत किया।
इन गतिविधियों के अलावा, बच्चों ने फ्री हैंड ड्रॉइंग, फिंगर प्रिंट पेंटिंग, और ग्रुप म्यूरल्स जैसी सामूहिक कलाओं में भी भाग लिया, जिससे उनकी टीम भावना और सहयोगात्मक सोच को भी प्रोत्साहन मिला।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों की कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे शिक्षकों, अभिभावकों और अतिथियों ने सराहा। हर चित्र, हर रचना, एक बच्चे की अनकही कल्पनाओं और भावनाओं की कहानी कह रही थी।
इस अवसर पर स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा, “कला बच्चों को अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम देती है। यह उनकी कल्पनाशीलता, समस्या समाधान क्षमता और भावनात्मक समझ को विकसित करती है, जो आज के समय में अत्यंत आवश्यक हैं।”
वास्तव में, व्हाइट लोटस इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया वर्ल्ड आर्ट डे सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि बच्चों के भीतर छिपी रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति का उत्सव था। स्कूल निरंतर प्रयासरत है कि हर बच्चे को ऐसा वातावरण मिले जहाँ उनकी कल्पनाएँ उड़ान भर सकें और उनकी कला सराही जाए