Jansansar
The bitter truth of Rakhi: The importance of respect and honesty in relationships
वायरल न्यूज़

राखी की कड़वी सच्चाई: रिश्तों में सम्मान और ईमानदारी का महत्व

नीतू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसकी माँ रोटियाँ बना रही थी, और उसके पिता चाय के साथ रोटी खा रहे थे। नीतू को जागता देख माँ ने उसके लिए भी चाय गरम कर गिलास में डाल दी। नीतू ने मुंह-हाथ धोकर चाय पीने के लिए गिलास उठाया।
“पढ़ाई में कोई परेशानी तो नहीं हो रही है, बेटा?” पिता ने चाय का घूंट लेते हुए पूछा।
“नहीं पापा, मैडम अच्छे से समझा देती हैं।” नीतू ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
चाय खत्म कर पिता सोने चले गए। माँ की रोटियाँ भी बन चुकी थीं, और वह काम पर जाने के लिए तैयार होने लगीं।
“रवि अभी तक उठा नहीं है, जब उठे तो उसे चाय दे देना, मैं काम पर निकल रही हूँ। खाना भी बन गया है, बस चौका साफ कर देना,” माँ ने जाते-जाते कहा।
“ठीक है, माँ, आप आराम से जाइए, मैं सब कर दूंगी।” नीतू ने कहा। वह उठकर चौका साफ करने लगी, फिर पीने के लिए पानी भरकर लाई और नहा-धोकर खाना खाकर स्कूल के लिए तैयार होने लगी।
घड़ी में 10:00 बज चुके थे। माँ खन्ना साहब के यहाँ रोटियाँ बनाने चली गई थी, वहीं से नीतू को भी स्कूल जाना था। नीतू के पिता नाइट शिफ्ट में चौकीदारी का काम करते थे, इसलिए वे इस समय सोने चले जाते थे। माँ चार-पाँच घरों में खाना बनाने का काम करती थी, जिससे घर का खर्च जैसे-तैसे चल रहा था।
नीतू का बड़ा भाई रवि, पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगाता था। दो बार फेल हो चुका था, और माता-पिता की सारी समझाइशें उसके कानों पर नहीं पड़ती थीं। दिन-ब-दिन उसकी आदतें बिगड़ती जा रही थीं। स्कूल के नाम पर वह दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता, घर आकर माँ से पैसे की मांग करता, और रोज कोई न कोई बहाना बनाकर उनसे झगड़ता।
नीतू तेज-तेज साइकिल के पेडल मारने लगी, और मन में विचार घुमड़ने लगे। उसकी दसवीं बोर्ड की परीक्षा करीब थी, और उसे पढ़ाई पर अधिक ध्यान देना था, ताकि अच्छे अंक हासिल कर सके और अच्छे विषय चुन सके। सोचते-सोचते वह खन्ना आंटी के घर पहुंच गई।
रात को करीब 8:00 बजे माँ काम से वापस आईं और बता रही थीं कि चार दिन बाद खन्ना आंटी के घर पर शादी की सालगिरह की बड़ी पार्टी है। बहुत सारे मेहमान आने वाले हैं, इसलिए नीतू को भी सुबह और रात में माँ के साथ काम में मदद करनी होगी।
पार्टी की तैयारियों में माँ और नीतू दोनों ही व्यस्त हो गए थे, जिससे नीतू की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पा रही थी। जब वह पढ़ने बैठी, तो उसकी चिंता और बढ़ गई। उसका भाई, रवि, घर से गायब था और उसके आवारा दोस्त भी कहीं नजर नहीं आ रहे थे।
तभी माँ घबराई हुई घर में आईं और बताने लगीं कि खन्ना आंटी की पोती रिया गायब हो गई है। घर में पुलिस आ गई है, और सभी से पूछताछ हो रही है। यह सुनकर नीतू का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। उसने सोचा, रिया जैसी मासूम बच्ची कहीं पैसों के लिए तो नहीं अगवा कर ली गई?
रात को पिता काम पर चले गए और माँ और नीतू सोने की तैयारी कर रही थीं। तभी दरवाजे पर जोर की दस्तक हुई। माँ ने दरवाजा खोला तो बाहर पुलिस खड़ी थी, जो रवि के बारे में पूछताछ कर रही थी। माँ घबराकर रोने लगीं।
नीतू ने डरते-डरते पूछा, “क्या हुआ, साहब?”
पुलिसवाला गंभीर स्वर में बोला, “तुम्हारा भाई कहाँ है, उसे बुलाओ।”
“वह तो घर में नहीं है, साहब। दो दिन से कहीं गया है,” माँ ने बताया।
“कहाँ गया है, आपको तो पता होना चाहिए?” पुलिसवाले ने पूछा।
माँ ने डरी-सहमी आवाज में कहा, “नहीं साहब, बिना बताए कहीं गया है। पिताजी ने भी सब जगह पता किया।”
पुलिसवाले ने चेतावनी दी, “ठीक है, आए तो उसे पुलिस थाने भेज देना।”
पुलिस चली गई, लेकिन माँ और नीतू की आँखों से नींद गायब हो चुकी थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि रवि कहाँ गया होगा, कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया?
सुबह जब पिता आए, तो माँ ने रात की घटना बताई। पूरे मोहल्ले में खबर फैल गई कि पुलिस रवि को ढूंढने घर आई थी। दिनभर सबके मन में चिंता और भय छाया रहा। माँ और पिता के चेहरों पर चिंता की लकीरें और गहरी हो गईं।
रात को पुलिस फिर से आई और उन्हें थाने ले गई। वहाँ जाकर पता चला कि रिया के गायब होने में रवि और उसके दोस्तों का हाथ था। थाने में सभी से कड़ी पूछताछ हुई। माँ खन्ना आंटी के यहाँ काम करती थीं, इसलिए पुलिस को शक था कि रिया के अपहरण में उनके परिवार का हाथ हो सकता है। पुलिस ने माँ और पिता को वहीं बैठा दिया और नीतू को घर भेज दिया।
नीतू की आंखों के सामने रिया की मासूम सी तस्वीर बार-बार घूम रही थी। वह सोचने लगी, इतनी प्यारी, भोली भाली बच्ची के साथ ऐसा क्या हुआ होगा? क्या रवि ने उसे सच में नुकसान पहुंचाया? क्या उसकी मासूमियत का खून कर दिया गया?
सुबह-सुबह माँ और पिता घर लौट आए, लेकिन उनके चेहरे पर थकान और चिंता के सिवाय कुछ नहीं था। पुलिस की पूछताछ में रवि और उसके दोस्तों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
पार्टी के दिन जब सब जश्न में मशगूल थे, रवि ने रिया को आइसक्रीम देने के बहाने बुलाया और उसे बाहर ले गया। रिया उसे पहचानती थी, इसलिए वह बिना किसी शक के उसके साथ चली गई। रवि के दोस्तों ने रिया को रिक्शा में बिठाकर भगा ले गए। वे लोग पैसे वसूलने की योजना बना रहे थे, लेकिन जब रिया ने भागने की कोशिश की, तो उन्होंने उसकी हत्या कर दी। शायद उसके साथ कुछ और भी अनहोनी की गई थी।
नीतू की देह कांप उठी। कैसे उसके भाई ने इतनी छोटी बच्ची के साथ ऐसा घिनौना काम कर दिया? पैसे की लालच ने उसे राक्षस बना दिया।
नीतू ने अपने मन में ठान लिया कि वह अब रवि को भाई नहीं मानेगी। जिस भाई को राखी बांधकर वह रक्षा का वचन लेती थी, वह अब उसके लिए एक अजनबी से भी बुरा हो गया था।
माँ और पिता की हालत देखकर नीतू का दिल बैठा जा रहा था। पिता, जो कभी शराब तक नहीं पीते थे, अब धुएं में अपने ग़म को उड़ाते नज़र आ रहे थे। माँ का काम भी छूट गया था, और अब लोग उनके परिवार को अपराधी की नजर से देखने लगे थे।
शहर में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे, और दोषियों को फांसी की सजा की मांग की जा रही थी। कुछ लोगों ने उनके घर पर पत्थर फेंके।
नीतू दो दिन से स्कूल नहीं गई थी। वह अपनी सहेलियों का सामना कैसे कर सकती थी? पिता भी पूरे दिन गुमसुम बैठे रहे।
पुलिस थाने में शिनाख्त के लिए बुलाया गया, लेकिन नीतू नहीं गई। वह अपने भाई का चेहरा भी नहीं देखना चाहती थी। जो भाई रक्षा का वचन देकर उसे राखी बांधने का वादा करता था, वह अब एक दरिंदा बन चुका था, जिसने एक मासूम बच्ची की जिंदगी को मिटा दिया।
माँ और पिता की हालत देखी नहीं जा रही थी। नीतू के दिल में दर्द और गुस्सा भरा हुआ था। उसने ठान लिया कि वह अब कभी भी अपने भाई का मुंह नहीं देखेगी। उसके लिए अब रवि कोई नहीं था।
लेकिन एक दिन, नीतू ने अपने मन में यह भी ठान लिया कि वह अपने अनुभव से बाकी बहनों को जागरूक करेगी। उसने अपने अंदर एक नई उम्मीद जगा ली।
अब उसने अपने भाई से रक्षा का वचन नहीं लिया, लेकिन बाकी सभी बहनों से विनती की, “अपने भाई से महंगा उपहार भले ही न लो, लेकिन यह वचन जरूर लो कि उसे भाई कहते हुए तुम्हें शर्मिंदा न होना पड़े।”
नीतू का यह संदेश हर उस बहन के लिए था, जो अपने भाई की राखी बांधते समय गर्व महसूस करती है। उसने अपने जीवन से सीखा कि रिश्तों का असली मतलब क्या होता है, और वह बाकी बहनों को भी यही सिखाना चाहती थी कि सच्ची रक्षा का मतलब है सम्मान और गरिमा बनाए रखना।
सीख: रिश्तों में सबसे महत्वपूर्ण है विश्वास और इज्जत। किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए सच्चाई, ईमानदारी, और सही राह पर चलना जरूरी है। गलत रास्ते पर चलकर जो संबंधों को तोड़ते हैं, वे कभी भी अपने रिश्तों को पूरी तरह से नहीं जी पाते। इसलिए, अपने परिवार, अपने संबंधों और अपने आत्मसम्मान को हमेशा बनाए रखें।

Related posts

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की बैठक: सफाई कर्मियों के अधिकारों और समस्याओं पर चर्चा

Jansansar News Desk

संगीतकार से अभिनेता बनी लीजा मिश्रा: कॉल मी बे के जरिए नए अभिनय क्षेत्र में कदम

Jansansar News Desk

हरियाणा चुनाव: राघव चड्ढा के बयान ने AAP-कांग्रेस गठबंधन के भविष्य पर उठाए सवाल

Jansansar News Desk

संपर्क रहित यात्रा के लिए विशाखापत्तनम और 8 हवाई अड्डों पर डिजी यात्रा सुविधा शुरू की गई

Jansansar News Desk

पुरानी यादों की वापसी: सिद्धार्थ और रिया की मिलन की कहानी

Jansansar News Desk

विनेश फोगट ने कांग्रेस में शामिल होकर भाजपा पर किया हमला पार्टी की सराहना की

Jansansar News Desk

Leave a Comment