रजनी की #शादी तय हो रही थी, लेकिन उसके मन में अजीब सी #परेशानी थी। वह विनय को तो अच्छी तरह से जानती थी, पर अपने होने वाले #सास-ससुर के व्यवहार से अनजान थी। विनय अपने मम्मी-पापा के बारे में हमेशा अच्छी बातें ही करता था, लेकिन रजनी शादी से पहले उनसे मिलना चाहती थी।
रजनी के मम्मी-पापा ने विनय के मम्मी-पापा को सपरिवार एक शाम को घर बुलाया। रजनी और विनय एक-दूसरे को पसंद करते थे, और उन्हीं के कहने से शादी की बात आगे बढ़ी। बातचीत और औपचारिकता के बाद अचानक रजनी ने कहा,
“आंटी जी और अंकल जी, अगर आप बुरा ना मानें तो क्या मैं शादी के पहले आपके घर आकर कुछ दिनों के लिए रह सकती हूं? विनय और मैं वहीं से ऑफिस निकल जाएंगे, और मैं आपके #गेस्ट रूम में रह लूंगी।”
रजनी की इस अटपटी बात को सुनकर विनय के मम्मी-पापा समेत उसके अपने मम्मी-पापा भी हैरान रह गए। रजनी की मम्मी उसका हाथ पकड़कर एक तरफ ले गईं, “रजनी, तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? भला शादी के पहले कौन सी लड़की ससुराल जाकर रहती है? तुम आजकल की लड़कियां पढ़-लिख क्या जाती हो, नई-नई रीत चलाने लगती हो।”
रजनी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “मम्मी, मैं विनय के साथ #लिव इन रिलेशनशिप में रहने की बात नहीं कर रही हूं, मैं उसके मम्मी-पापा और बाकी सदस्यों के साथ रहना चाहती हूं।”
विनय की मम्मी गुस्से में बोलीं, “ऐसा तो हमने कभी नहीं सुना कि #बहू ससुराल में आकर पहले रहना चाहती है। आखिर हमारे घर की क्या #जांच-पड़ताल करना चाहती हो? हमारे घर की #जासूसी करके क्या साबित करोगी?”
रजनी मुस्कराकर बोली, “आंटी जी, इसमें बुराई क्या है? मैं आपकी #बड़ी बहू के साथ रहना चाहती हूं। आखिर मैं भी देखना चाहती हूं कि घर की बड़ी बहू कैसे रहती है। आप मेरी जेठानी को क्यों नहीं लाई? आखिर उसने अपने देवर के लिए लड़की पसंद नहीं की?”
विनय की मम्मी तपाक से बोलीं, “हमारे घर की बहुएं लड़की पसंद करने नहीं जातीं। शादी तो विनय को करनी है, इसमें बड़ी बहू का क्या काम?”
रजनी ने हंसते हुए कहा, “आंटी जी, हमने तो आपको सपरिवार बुलाया था। आपके परिवार में आपकी बड़ी बहू नहीं आती क्या? फिर तो आपको भी नहीं आना चाहिए था। आप भी उस घर की बहू हैं।”
यह सुनते ही विनय की मम्मी आग बबूला हो गईं, “ये कैसी लड़की से तू शादी कर रहा है, विनय? ये तो इतनी #मुंहफट है। तुम तो कह रहे थे कि ये तो तेरी भाभी से भी सीधी है। ये तो अभी से ज़ुबान से आग उगल रही है।”
यह सुनकर रजनी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। “विनय, मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था। तुम तो मुझे दो साल से जानते हो, मैं तुम्हारे साथ ही ऑफिस में काम करती हूं। इतनी अच्छी नौकरी मैं छोड़ दूंगी, ये तुमने सोचा भी कैसे?”
“विनय, तुम मेरे #भाग्यविधाता नहीं हो। मैंने अपना भाग्य खुद बनाया है और मैं इसे तुम्हारे या तुम्हारे घरवालों के कहने पर नहीं छोड़ सकती। मैं शादी के पहले इसलिए तुम्हारे घर आकर रहना चाहती थी ताकि यह जान सकूं कि वहां की बहुओं की क्या स्थिति है।”
“अच्छा हुआ मैंने यह कदम उठाया, इससे तुम सबकी असलियत मेरे सामने आ गई। जब तुम्हारी भाभी साथ में नहीं आई, तो मुझे समझ में आ गया कि तुम्हारे घर में बहुओं की क्या स्थिति है। मैं अपना जीवनसाथी चुनना चाहती थी, लेकिन अब मैंने अपना निर्णय बदल लिया है।”
“पता नहीं इतना पढ़ने-लिखने और आत्मनिर्भर बनने के बाद भी लड़कियां अपना #भाग्यविधाता ससुराल वालों और पति को क्यों चुन लेती हैं? पर मैं उनमें से नहीं हूं। मैं अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीऊंगी।”
विनय का परिवार मुंह लटकाकर चला गया।