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जो दिखाई नहीं देता, वही सत्ता चलाता है: भाजपा का बड़ा दांव,नई उम्र, नई रणनीति, नई भाजपा!

भारतीय जनता पार्टी की राजनीति इस समय एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी दिखाई दे रही है। संगठन के भीतर और बाहर जिस तरह की गतिविधियां तेज़ हुई हैं, उससे यह लगभग स्पष्ट हो चला है कि नितिन नवीन के नेतृत्व में भाजपा अब केवल सत्ता प्रबंधन नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति की ठोस रूपरेखा गढ़ने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

भाजपा की नई कहानी: चेहरों से आगे की राजनीति,भाजपा चुनाव नहीं, अगली पीढ़ी की राजनीति गढ़ रही है!

इसी कड़ी में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाक्रम यह है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए साकेत सौरभ को सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व में मंथन अंतिम चरण में है।

साकेत सौरभ कोई नया नाम नहीं हैं। वे उन गिने-चुने रणनीतिकारों में शामिल हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर राजनीति की दिशा बदलने का काम किया है। बिहार के कई बड़े भाजपा नेताओं के लिए वे राजनीतिक प्रबंधन, चुनावी रणनीति और मीडिया सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं। उनके काम की खासियत यह रही है कि वे केवल प्रचार तक सीमित नहीं रहे, बल्कि संगठनात्मक संरचना, कैडर संवाद और मतदाता मनोविज्ञान को जोड़कर एक समग्र रणनीति तैयार करते रहे हैं।

मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले साकेत सौरभ की प्रारंभिक शिक्षा भी दरभंगा में ही हुई। एक पारंपरिक मिथिलांचल पृष्ठभूमि से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति के रणनीतिक केंद्र तक पहुंचना अपने-आप में उनकी वैचारिक स्पष्टता और व्यावसायिक दक्षता का प्रमाण है। वर्ष 2019 में उन्होंने SPACS (Socio Political Analysis and Communication Strategy) की स्थापना की, जो बहुत ही कम समय में राजनीतिक प्रबंधन के क्षेत्र में एक सशक्त और विश्वसनीय संगठन के रूप में पहचाना जाने लगा।

भाजपा की हालिया प्रचंड चुनावी सफलताओं में SPACS की रणनीतिक भूमिका को पार्टी के भीतर खुले तौर पर सराहा गया है।
2025 में पटना की कुम्हरार विधानसभा सीट से साकेत सौरभ के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना भी लगभग तय मानी जा रही थी। यह संयोग ही है कि ठीक बगल की बांकीपुर—सीट से विधायक रहे नितिन नवीन आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हालांकि केंद्रीय चुनाव प्रबंधन समिति की अंतिम बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने साकेत सौरभ की उम्र और उनकी दीर्घकालिक उपयोगिता को देखते हुए उन्होंने ने यह संकेत दिया था कि उन्हें किसी बड़ी और व्यापक जिम्मेदारी के लिए तैयार किया जा रहा है। आज की परिस्थितियां उस संकेत को वास्तविकता में बदलती दिखाई दे रही हैं।

यह नियुक्ति केवल एक व्यक्ति को सलाहकार बनाने भर का मामला नहीं है। यह भाजपा की रणनीतिक सोच में आए बड़े बदलाव का संकेत है। बीजेपी अब स्पष्ट रूप से जेन–ज़ी को आगे लाने, नए चेहरों को निर्णायक भूमिकाओं में स्थापित करने और संगठन को पूरी तरह भविष्य-उन्मुख बनाने की दिशा में काम कर रही है। नितिन नवीन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना और साकेत सौरभ जैसे रणनीतिकार का उनके साथ आना इसी परिवर्तन की कड़ी है।

इस पूरी प्रक्रिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी निर्णायक मानी जा रही है। संघ और भाजपा नेतृत्व के बीच जो विचार-विमर्श चल रहा है, वह केवल व्यक्तियों को लेकर नहीं, बल्कि संगठन की दीर्घकालिक वैचारिक और रणनीतिक दिशा को लेकर है। साकेत सौरभ की नियुक्ति पर सहमति बनना इस बात का संकेत होगा कि भाजपा अब रणनीति, डेटा, संचार और जमीनी संगठन चारों को एक साथ साधने वाले पेशेवर दृष्टिकोण को पूरी तरह स्वीकार कर चुकी है।

सत्ता से सत्ता–निर्माण तक: भाजपा की निर्णायक छलांग

नितिन नवीन के नेतृत्व में भाजपा का राष्ट्रीय चेहरा पहले ही अपेक्षाकृत युवा, ऊर्जावान और संगठन-केंद्रित दिखाई दे रहा है। यदि साकेत सौरभ औपचारिक रूप से सलाहकार की भूमिका में आते हैं, तो यह जोड़ी सत्ता और संगठन के बीच एक नया संतुलन स्थापित कर सकती है। यह संतुलन न केवल चुनाव जीतने तक सीमित रहेगा, बल्कि वैचारिक विस्तार, युवा नेतृत्व निर्माण और डिजिटल युग की राजनीति को साधने में भी निर्णायक साबित हो सकता है।

कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि भाजपा आज केवल वर्तमान की राजनीति नहीं कर रही, बल्कि अगले एक-दो दशकों की नींव रख रही है। नितिन नवीन और साकेत सौरभ का संभावित साथ इसी दीर्घकालिक सोच का प्रतीक है। यह बदलाव संकेत देता है कि पार्टी अब परंपरा और प्रयोग, अनुभव और नवाचार दोनों को साथ लेकर चलने के मूड में है। यही कारण है कि यह नियुक्ति साधारण नहीं, बल्कि ऐतिहासिक मानी जा रही है।

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