एक छोटे से गाँव में रामु नाम का किसान रहता था। वह मेहनती था लेकिन उसकी ज़िंदगी में कोई खास खुशी नहीं थी। हर दिन वह खेत में काम करता, अपने परिवार का ध्यान रखता, लेकिन उसके चेहरे पर कभी सच्ची मुस्कान नहीं आती थी। वह हमेशा अपने भाग्य को कोसता कि भगवान ने उसे धन क्यों नहीं दिया।
एक दिन रामु अपने गाँव से दूर एक बड़े शहर में गया, जहाँ उसे एक साधु मिला। साधु को देखकर रामु ने सोचा, “शायद यह मेरे सवालों का जवाब दे सके।” वह साधु के पास गया और कहा, “महाराज, मुझे बताइए, सबसे बड़ा धन क्या है? मुझे क्यों नहीं मिला?”
साधु मुस्कुराया और बोला, “चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।”
“कई साल पहले एक राजा था। वह राजा अपने राज्य में सबसे धनी था लेकिन कभी भी संतुष्ट नहीं था। उसे हमेशा लगता था कि उसके पास अभी भी कुछ कमी है। एक दिन उसने अपने मंत्रियों को बुलाया और कहा, ‘मुझे सबसे बड़ा धन चाहिए, जो मुझे सच्ची खुशी दे सके।’
राजा ने आदेश दिया कि पूरे राज्य में जाकर उसे वह चीज़ लाकर दो जो सबसे बड़ा धन हो। मंत्री राज्य के हर कोने में गए और लोगों से पूछा। किसी ने सोना दिया, किसी ने चाँदी, लेकिन राजा को संतुष्टि नहीं मिली।
फिर एक दिन एक साधारण किसान राजा के पास आया और बोला, ‘महाराज, सबसे बड़ा धन मेरे पास है।’
राजा ने हैरानी से पूछा, ‘वह क्या है?’
किसान ने जवाब दिया, ‘सबसे बड़ा धन है संतोष। मेरे पास बहुत धन नहीं है, लेकिन मैं अपनी मेहनत से खुश हूँ। संतोष ही असली धन है जो कभी खत्म नहीं होता।’
राजा को उस दिन असली सच्चाई का पता चला और वह समझ गया कि सबसे बड़ा धन संतोष है, न कि सोना-चाँदी।”
रामु ने साधु की कहानी सुनी और उसकी आँखें खुल गईं। उसे एहसास हुआ कि उसके पास जो कुछ भी है, वही असली धन है। उस दिन से रामु ने अपने जीवन में संतोष को अपनाया और सच्ची खुशी महसूस की।
कहानी का संदेश:
सच्ची खुशी हमेशा बाहरी संपत्ति में नहीं होती। संतोष ही सबसे बड़ा धन है, जो हमें जीवन में सच्ची खुशी और शांति देता है।
दोस्तो, क्या आप मानते हो कि संतोष ही सबसे बड़ी ख़ुशी है? क्या आपने भी कभी अपने जीवन में संतोष को अनुभव किया है? इस सवाल पर विचार करके अपनी ज़िंदगी में सच्चे धन की खोज करें।