व्यापारी के जाने के बाद कालूराम के दोस्तों ने उसे डांटा। उनका कहना था कि जब पहले व्यापारी ने बेहद सस्ती कीमत पर ऊंट बेचे थे, तब कालूराम ने नहीं खरीदा, और अब दोगुनी कीमत देकर अपना नुकसान कर लिया।
कालूराम मुस्कुराया और सबको समझाते हुए बोला, “हां, यह सच है कि मैंने इस बार ऊंट दोगुनी कीमत में खरीदे हैं, लेकिन वह फिर भी मुझे सस्ते पड़े हैं।” सब उसकी तरफ अचरज भरी नजरों से देखने लगे।
कालूराम ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “पहली बार, मेरे पास पैसों की बहुत कमी थी, इसलिए तब मेरे लिए वह कम कीमत भी बहुत ज्यादा थी। लेकिन इस बार, मेरे पास जरूरत से ज्यादा पैसे थे, इसलिए इस बार मेरे लिए ये ऊंट काफी सस्ते थे।”