आनंद एक कॉलेज का छात्र था। उसने एक डीलर के शोरूम में एक सुंदर स्पोर्ट्स कार देखी थी, और वह लंबे समय से अपने लिए ऐसी ही एक कार चाहता था। आनंद को पता था कि उसके माता-पिता इसे खरीदने में सक्षम हैं, इसलिए उसने उनसे कहा कि वह ग्रेजुएशन के बाद उपहार के रूप में यह कार चाहता है।
समय बीता, और वह दिन भी आ गया जब आनंद का ग्रेजुएशन पूरा हुआ। उसके पिता ने उसे अपने निजी कार्यालय में बुलाया और कहा, “मुझे तुम पर बहुत गर्व है, बेटा।” उन्होंने उसे बताया कि वह उससे कितना प्यार करते हैं और एक प्यारे से रैपर में लिपटा हुआ उपहार दिया। आनंद ने उस छोटे से गिफ्ट बॉक्स को देखा और निराश हो गया। लेकिन वह यह जानने के लिए उत्सुक था कि उसमें क्या है, इसलिए उसने बॉक्स खोला। अंदर एक लाल कपड़े में लिपटी हुई भगवद गीता थी!
आनंद को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में कहा, “आप इतने अमीर हैं, और आप मुझे सिर्फ एक गीता दे रहे हैं?” वह अपने पिता पर चिल्लाया और नाराजगी में घर छोड़ दिया।
कई साल बीत गए। आनंद अब एक सफल व्यवसायी बन गया था। उसकी शादी हो चुकी थी, और उसके दो बच्चे थे। उनका परिवार एक सुंदर घर में रहता था, लेकिन पिता के साथ टूटे रिश्ते ने उसकी आत्मा को कभी भी शांत नहीं होने दिया। आनंद अपने पिता का घर छोड़ने के बाद उनसे कभी नहीं मिला था।
एक दिन आनंद को एक पत्र मिला, जिसमें उसके पिता के निधन की खबर थी। पत्र में यह भी लिखा था कि उसके पिता ने अपनी सारी संपत्ति आनंद के नाम कर दी थी। आनंद अपने पिता के घर पहुंचा और वहां कुछ महत्वपूर्ण कागजात खोजने लगा। इसी दौरान उसे वही भगवद गीता मिली, जिसे उसने बरसों पहले गुस्से में ठुकरा दिया था।
उसने गीता को अच्छे से देखा तो उस पर अपने पिता की हस्तलिपि में लिखा हुआ मिला:
“मैं खुद को बेचकर भी हर सपना पूरा करूंगा तेरा,
बस तू सपने ज़रा बड़े देखना।
ये बोल रहा बाप नहीं, जिंदगी का सबसे पहला दोस्त तेरा।”
जैसे ही उसने यह कविता पढ़ी, गीता के अंदर से अचानक एक चाबी गिर गई। उस चाबी के टैग पर उसके ग्रेजुएशन की तारीख और ‘कांग्रेचुलेशन, आई लव यू’ लिखा हुआ था।
आनंद का पिता तो अब इस दुनिया में नहीं था, और आज उसे अपनी सबसे बड़ी गलती का एहसास हो गया था। उस दिन आनंद की आंखें और रूह दोनों ही पछतावे के आंसू बहा रही थीं।