एक बार की बात है, एक दयालु राजा ने एक लोहार की दुर्दशा देखकर उसे चंदन का एक बगीचा उपहार में दिया। लोहार को चंदन के पेड़ों की कीमत का कोई ज्ञान नहीं था, लेकिन उसने देखा कि लकड़ी की तुलना में कोयले की कीमत थोड़ी ज्यादा है। इसलिए उसने चंदन के पेड़ों को काटकर कोयला बनाया और बेच दिया। धीरे-धीरे पूरा बगीचा खत्म हो गया।
कुछ समय बाद, राजा जब लोहार के घर के पास से गुजरे, तो उन्होंने सोचा कि अब लोहार अमीर हो गया होगा और उसका हालचाल पूछने चले गए। लेकिन राजा को देखकर आश्चर्य हुआ कि लोहार की हालत पहले जैसी ही थी। राजा ने पूछा कि लोहार ने बगीचे के साथ क्या किया, और जब राजा को पता चला कि लोहार ने पेड़ों को कोयले में बदल दिया था, तो राजा को उसकी अज्ञानता से दुख हुआ।
राजा ने पूछा, “क्या तुम्हारे पास उन पेड़ों का कोई हिस्सा बचा है?” लोहार ने कुल्हाड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा दिखाया। राजा ने उस चंदन की लकड़ी को लेकर लोहार को एक चंदन व्यापारी के पास भेजा। उस छोटे से टुकड़े के लिए लोहार को बहुत अधिक पैसा मिला। लोहार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने राजा से एक और बगीचा देने की विनती की। लेकिन राजा ने कहा कि ऐसा उपहार बार-बार नहीं मिलता और उसे मना कर दिया।
इस कहानी से हम अपने जीवन के महत्व को समझ सकते हैं। हमारे जीवन का मूल्य भी उस चंदन की तरह अनमोल है। जब तक हम समझते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हमें अपनी जिंदगी की कीमत समझनी चाहिए और इसका सही उपयोग करना चाहिए, वरना यह नष्ट हो जाएगी। मानव जीवन सबसे दुर्लभ और अनमोल है, इसे समझें और इसे सही मायनों में जीएं।