प्रयागराज महाकुंभ 2025: बाबाओं की अनोखी दुनिया और यूट्यूबर्स की परेशानी
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 ने साधु-संतों के अनोखे व्यक्तित्व और घटनाओं से सबका ध्यान खींचा है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ में आस्था और भक्ति के साथ-साथ बाबाओं की विचित्र शैली और हरकतें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। आईआईटी बाबा, कबूतर बाबा, गोल्डन बाबा, कांटा बाबा और चिमटा बाबा जैसे संत इंटरनेट पर छाए हुए हैं।
चिमटा बाबा का गुस्सा फिर दिखा, यूट्यूबर को सिखाया सबक
महाकुंभ के नौवें दिन चिमटा बाबा उर्फ महंत महाकाल गिरी एक बार फिर अपने गुस्से को लेकर चर्चा में आ गए। जब एक यूट्यूबर ने उनके पास आकर बातचीत करने की कोशिश की, तो बाबा ने अपना आपा खो दिया। चिमटा लेकर बाबा ने न सिर्फ यूट्यूबर को धमकाया बल्कि उसे मारने की कोशिश भी की। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है।
बाबाओं का गुस्सा और यूट्यूबर्स की जिज्ञासा
महाकुंभ में कई बाबा पत्रकारों और यूट्यूबर्स से नाराज हैं। उनका कहना है कि उनकी तपस्या और साधना को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है। चिमटा बाबा ने कहा, “पत्रकार और यूट्यूबर्स हमारी साधना का मजाक बना रहे हैं।”
डिजिटल युग में महाकुंभ
महाकुंभ, जो हमेशा से भक्ति और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रतीक रहा है, अब डिजिटल कंटेंट के लिए भी एक बड़ा केंद्र बन गया है। बड़ी संख्या में यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स यहां बाबाओं की अनोखी कहानियां और जीवनशैली को रिकॉर्ड करने के लिए पहुंचे हैं।
भक्ति या मनोरंजन?
चिमटा बाबा, जो पिछले नौ वर्षों से एक हाथ उठाकर तपस्या कर रहे हैं, इस पूरे प्रकरण से काफी दुखी हैं। उन्होंने कहा, “हमारी साधना को समझने की बजाय लोग इसे मनोरंजन का साधन बना रहे हैं।”
महाकुंभ 2025: आस्था और विवाद का संगम
प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से भक्ति और तपस्या का केंद्र रहा है, लेकिन इस साल यह सोशल मीडिया और विवादों का भी मुख्य बिंदु बन गया है। जहां करोड़ों श्रद्धालु आध्यात्मिकता के लिए यहां जुटे हैं, वहीं डिजिटल युग की भीड़ इसे कंटेंट क्रिएशन का मौका मान रही है।
महाकुंभ 2025 न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह बदलते समय और पारंपरिक आध्यात्मिकता व आधुनिक डिजिटल संस्कृति के बीच टकराव का भी प्रतीक बन गया है।