फ्रांस में इतिहास रचने वाला राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। बुधवार को फ्रांसीसी संसद की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा। बार्नियर के बजट प्रस्ताव को लेकर विपक्ष के बढ़ते विरोध के कारण यह संकट गहराया। 1962 के बाद यह पहली बार हुआ है जब फ्रांस में किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया है।
संसद में मिली 331 वोटों की मंजूरी
अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली में 331 वोटों से पारित किया गया, जबकि इसे पारित करने के लिए 288 वोटों की जरूरत थी। संसद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन के खिलाफ वामपंथी और दक्षिणपंथी विपक्ष ने एकजुट होकर यह प्रस्ताव लाया। इस कदम के बाद प्रधानमंत्री बार्नियर ने इस्तीफा देने की घोषणा की।
राष्ट्रपति मैक्रों पर बढ़ा दबाव
प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह 2027 तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। मैक्रों ने कहा, “मैं फ्रांस के लोगों द्वारा चुना गया हूं। हमें ऐसी अफवाहों से डरने की जरूरत नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है, और कोई खतरा नहीं है।” मैक्रों आज शाम देश को संबोधित करेंगे।
बार्नियर का अल्पकाल और नई सरकार की चुनौती
सितंबर में प्रधानमंत्री बने मिशेल बार्नियर फ्रांस के सबसे कम समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री बन गए। संकट के चलते राष्ट्रपति मैक्रों को अब नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा। लेकिन संसद में बहुमत के अभाव में नई सरकार चलाना चुनौतीपूर्ण होगा।
बजट विवाद बना संकट का कारण
पूरा विवाद बार्नियर के बजट प्रस्ताव को लेकर शुरू हुआ। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह बजट नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने में असफल है। वामपंथी गठबंधन और दक्षिणपंथी दल, जो आमतौर पर एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं, इस बार बार्नियर के विरोध में एकजुट हो गए।
फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता
इस राजनीतिक संकट ने फ्रांस में प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ा दी है। नई सरकार के गठन तक संसद का कामकाज प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, देश में जुलाई से पहले नए चुनाव कराना भी संभव नहीं है।
फ्रांस के इस घटनाक्रम से न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक हलचल मची हुई है। यूरोप के प्रमुख देशों में शामिल फ्रांस का यह संकट वैश्विक राजनीति पर भी असर डाल सकता है।