एडवांस्ड एमएएमएस टेक्नोलॉजी के साथ अब, मजबूत बेलोम सीरीज के उत्पाद सूखे और अन्य अजैविक तनाव की स्थिति में भी बेहतर फसल पैदावार की सुविधा प्रदान करेंगे|
बायो फर्टिलाइजर्स और महत्वपूर्ण मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स बनाने वाली हैदराबाद स्थित बायोफैक्टर ने अपने अत्याधुनिक न्यूट्रिमेशन प्रोडक्ट, ‘बेलोम’ को मजबूत करके रिसर्च में एक और बड़ी प्रगति की है, जो अब कमर्शियल तथा मौसमी फसलों को सूखे और अन्य अजैविक तनाव की स्थितियों में फसल की पैदावार में सुधार की सुविधा प्रदान करता है।
बायोफैक्टर (बायोफैक इनपुट्स प्राइवेट लिमिटेड) मेटाबोलाइट असिस्टेड माइक्रोन साइज (एमएएमएस) न्यूट्रीमेशन की दुनिया की पहली निर्माता है| उन्होंने यह प्रोडक्ट लॉन्च किया है और बहुत कम समय में बाजार का ध्यान खींचा है।
बायोफैक्टर के फाउंडर श्री एल एन रेड्डी जी ने कहा कि बेलोम सीरीज़ के प्रॉडक्ट्स के अच्छे रिज़ल्ट्स पर देश भर में की गई सबसे नई रिसर्च से पता चला है कि सूखे और अन्य अजैविक स्थितियों में भी उन्होंने उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि फ़ॉलियर न्यूटिमेशन में एमएएमएस तकनीक का उपयोग करने से पौधों और फसलों के लिए आवश्यक 13 महत्वपूर्ण पोषक तत्व मिलते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मार्केट में प्रवेश –
श्री एल एन रेड्डी जी ने कहा कि अत्याधुनिक ‘बेलोम’ सीरीज़ के प्रॉडक्ट्स को दुनिया भर के किसानों के दरवाजे तक ले जाया जाएगा। इन प्रॉडक्ट्स का उपयोग सभी प्रकार की फसलों के लिए किया जा सकता है। बेलोम सीरीज़ का उपयोग करके वर्षा आधारित क्षेत्रों में उगाई जाने वाली कमर्शियल फसलें अच्छी गुणवत्ता के साथ ज़्यादा पैदावार देती हैं। किसान सूखे की स्थिति और साधारण मौसम में भी बेलोम सीरीज़ का उपयोग करके कम लागत पर अच्छी फसलें उगा सकते हैं।अनुसंधान अध्ययन से पता चला है कि बेलोम सीरीज़ का उपयोग करने से पैदावार में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बेलोम सीरीज़ ने विभिन्न बीमारियों और कीटों के खिलाफ फसलों में प्रणालीगत प्रतिरोध को प्रेरित किया है।
बायोफैक्टर के रिसर्च और डेवलपमेंट डिवीज़न को आगे रिसर्च करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च (डीएसआईआर) द्वारा अप्रूव किया गया हैं।
एक लाख से ज़्यादा किसानों ने इस्तेमाल किया – श्री एल एन रेड्डी जी ने आगे बताया कि देश भर के एक लाख से अधिक किसान पहले से ही फ़ॉलियर न्यूट्रिमेशन टेक्नोलॉजी के साथ ‘बेलोम’ सीरीज़ के उत्पाद का उपयोग कर रहे हैं। कंपनी ने देश भर के विभिन्न क्षेत्रों और मौसमों में धान, मक्का, टमाटर, बैंगन, गेंदा, मिर्च और कपास जैसी फसलों पर रिसर्च किया हैं।
बायोफैक्टर ने नैनो जिंक सस्पेंशन प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी के व्यावसायीकरण के लिए इण्डियन कौंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के सेंट्रल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कॉटन टेक्नोलॉजी (सीआईआरओटी) के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। बायोफैक्टर की स्थापना 2014 में हुई थी, अब इसकी उपस्थिति 16 राज्यों में हैं| 650 कर्मचारियों और देश भर में 3,500 से अधिक मजबूत डीलर नेटवर्क के साथ कार्यरत है। बायोफैक्टर के पास प्रोबायोटिक्स में 35 मालिकाना उपभेद और नैनोटेक्नोलॉजी में 8 पेटेंट हैं।