परंपरागत कला, गौरवशाली संस्कृति और रौनक से भरे मेलों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध राजस्थान में गणगौर का पर्व पारम्परिक ढंग से मनाया जाता है।
गणगौर की सवारी निकालने की परंपरा आज भी जारी है। होली के दूसरे दिन से लड़कियां अच्छे वर के लिए और महिलाएं जिनमें नव विवाहिताएं विशेष रूप से शामिल होती हैं गणगौर की पूजा करती हैं और अपने सुहाग व परिवार की खुशहाली की कामना करती है। गणगौर का यह त्यौहार राजस्थान की संस्कृति में रचा बसा है। गणगौर के इन गीतों में पुरुष जहा पार्वती स्वरुप मा गणगौर की पूजा अर्चना करते हैं वहीं गणगौर के श्रृंगार का भी वर्णन किया जाता है। सूरत शहर के भीमराड स्थित शिव रेसिडेन्सी में राजस्थानी महिलाओं द्वारा गणगौर की पूजा की गई।