बेटा अपने पिता के पास गया और बड़ा परेशान होकर बोला.. मैं अब मेरी पत्नी के साथ एक पल भी नही बिता सकता! वो मुझे आंखो में चुभती है। कभी कभी मुझे लगता है की मैं उसकी जान ही ले लू। लेकिन मैं जानता हूं ऐसा करके मैं और ज्यादा मुसीबत मोल ले लूंगा। पिताजी मैं आपके पास आया हु ..अब आप ही मुझे कोई रास्ता बताइए।
पिता ने एक गहरी सास भरी और बोले देख बेटा मैं तुम्हे तुम्हारी पत्नी से छुटकारा दिला सकता हु। मेरे पास एक धीमा जहर है जो व्यक्ति को धीरे धीरे खत्म करता है! मैं तुम्हे वो देने के लिए तैयार हु बस तुम्हे मेरी एक शर्त माननी होगी। दरअसल ये शर्त भी तुम्हारे भले के लिए ही है। तुम्हे आज से ही अपनी पत्नी से अच्छे से अच्छा व्यवहार करना होगा। उससे प्यार से बात करनी होगी। उसका एक बच्चे की तरह ख्याल रखना होगा। उसकी बाते उसकी शिकायते सुननी होगी और ये सब इसलिए ताकि जब वो मरे तो किसी को तुम पर शक ना हो!
थोड़ी देर तक वहा एक शांति छाई रही। फिर पिताने कहा की अगर ये सारी बाते तुम्हे ठीक लगे तो उस डब्बी में वो सफेद पाउडर है उसे रोज थोड़ा थोड़ा अपनी पत्नी के खाने में डालते रहना। बेटे ने वो डब्बी उठाई और वहा से चला गया।
30 दिनों बाद बेटा फिर से जब पिता के पास वापस लौटा तो उसकी आंखों में आंसू थे उसके चेहरे पर ग्लानि की भावना थी। वह अपने पिता के पैरों में गिर पड़ा और बोला पिताजी में अब अपनी पत्नी को नहीं मारना चाहता! मैं उससे बहुत प्यार करता हूं! आप उस जहर का असर खत्म हो जाए ऐसा कुछ कीजिए।
पिता ने अपने बेटे को उठाया और बोला.. डरो मत उस डब्बी में सिर्फ चावल का आटा था ! असली जहर तो तुम्हारे मन में था और मैने जो तुम्हे शर्ते बताई थी वो उस जहर का तोड़ था।
आप जब अपने मन में द्वेष ईर्ष्या गुस्सा शक जैसे जहर को बना देते हो तो वह आपको अपनों से दूर कर ही देते हैं। उनसे निपटने का यही तरीका है कि अपनों की बात सुने। अपनों का ख्याल रखें। दया भाव रखें। माफ करना सीखें और ज्यादा अपेक्षा न रखें।