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A dangerous combination of laziness and hope
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आलस्य और उम्मीद का खतरनाक मेल

एक गांव में एक किसान रहता था, जो अत्यंत आलसी था। वह कई दिनों तक एक ही पेड़ के नीचे आराम करता रहता था, बजाय कि अपने खेतों पर ध्यान दे।

एक दिन, इस आलसी किसान ने देखा कि एक लोमड़ी एक खरगोश का पीछा कर रही है। खरगोश जान बचाने के लिए तेजी से भागता है और अचानक पेड़ पर चढ़ जाता है। तेज हवा के कारण खरगोश पेड़ से गिरकर मर जाता है और किसान के पास ही पड़ा रहता है।

किसान ने उस मरे हुए खरगोश को उठाया, लोमड़ी को पत्थर मारकर भगा दिया और घर चला आया। उसे उस दिन खरगोश का मांस खाने को मिला और उसकी खाल बेचकर पैसे भी मिले। किसान ने सोचा, “वाह! कितना अच्छा होगा अगर हर दिन ऐसे ही खरगोश मिलते रहें। मुझे ज़िंदगी भर काम नहीं करना पड़ेगा।”

अगले दिन किसान वही पेड़ के नीचे आराम करने चला गया और उम्मीद करने लगा कि फिर कोई खरगोश पेड़ से गिरे। हालांकि, इस बार कई खरगोश उसके सामने आए, लेकिन उनमें से कोई भी पेड़ पर चढ़ा या गिरा नहीं।

किसान यह समझ नहीं पाया कि ऐसा संयोग बार-बार नहीं होता। “आज नहीं तो कल खरगोश मिलेगा” इस झूठी उम्मीद में उसने अपने खेतों पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे खेतों में खरपतवार बढ़ गई और उसकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। अब किसान को भूखों मरने की नौबत आ गई।

सीख: उम्मीद करना कि बिना मेहनत के कुछ मिल जाएगा, अक्सर नुकसान का कारण बनता है। अगर किसान ने आलस्य छोड़कर मेहनत की होती, या कम से कम दिखाई दे रहे खरगोशों को पकड़ा होता, तो वह अच्छा पैसा कमा सकता था और अपनी फसल को बचा सकता था। मेहनत और सच्ची लगन से ही स्थायी सफलता प्राप्त होती है।

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