सूरत: सूरत के युवा शूटर स्मिट मोर्डिया ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी शूटिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत और टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते। इस उपलब्धि के साथ ही वे सूरत के पहले अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी बन गए हैं जिन्होंने यह सफलता हासिल की है।
माँ के बलिदान का परिणाम
मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले स्मिट के लिए यह सफर आसान नहीं था। तीन साल पहले शूटिंग की शुरुआत करने वाले स्मिट को अपने सपनों को पूरा करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके लिए सबसे बड़ा बलिदान उनकी माँ ने दिया, जिन्होंने बेटे को राइफल दिलाने के लिए अपने गहने गिरवी रख दिए थे। यह राइफल आज स्मिट की सफलता का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, लेकिन माँ ने अभी तक अपने गहनों को छुड़ाया नहीं है।
स्मिट का संघर्ष और सफलता की कहानी
स्मिट का कहना है कि स्कूल के दिनों में उनकी पढ़ाई में कोई खास रुचि नहीं थी और 10वीं कक्षा में वह फेल हो गए थे। उनके पिता ने उन्हें नौकरी की सलाह दी थी, लेकिन माँ और बहन के प्रोत्साहन से स्मिट ने अपनी क्षमताओं का एहसास किया और शूटिंग में कदम रखा। कॉलेज के दिनों में उन्होंने पढ़ाई और खेल दोनों को समान प्राथमिकता दी और 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की।
आर्थिक चुनौतियों के बावजूद सफलता
स्मिट के माता-पिता की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उनकी माँ एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं और पिता निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं। इसके बावजूद, उन्होंने अपने बेटे की शूटिंग में सहायता की। स्मिट के लिए शूटिंग की ट्रेनिंग सूरत से 100 किलोमीटर दूर व्यारा में होती थी, और उन्होंने कम संसाधनों के बावजूद खुद को साबित किया।
आने वाले ओलंपिक की तैयारी
स्मिट अब 2028 के ओलंपिक में खेलने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने बताया, “जब मैंने दिल्ली में प्रतियोगिता में भाग लिया, तो मुझे अंतरराष्ट्रीय अनुभव मिला और फाइनल में 2 ओलंपियन को हराने के बाद मैंने अपने आप को और आत्मविश्वास से भरपूर पाया। अब मैं ओलंपिक में खेलते हुए भारत का नाम रोशन करना चाहता हूं।”
कोच का विश्वास और समर्थन
स्मिट के कोच, सागर उखर, ने उनकी मेहनत और आत्मविश्वास की सराहना की। उन्होंने कहा, “स्मिट का आत्मविश्वास उसे अन्य खिलाड़ियों से अलग करता है। वह तय करता है कि उसे कितने दिन में लक्ष्य हासिल करना है और उसे पूरा करता है। मैं यकीन करता हूं कि वह 2028 ओलंपिक में हिस्सा लेंगे और पदक जीतेंगे।”
स्मिट की सफलता एक प्रेरणा
स्मिट की यह सफलता न सिर्फ उनके व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि यह अन्य युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है कि यदि मेहनत और समर्पण से लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो कोई भी कठिनाई सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।