राजकोट नगर निगम (RMC) के नए आयुक्त तुषार सुमेरा की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई है। सुरेंद्रनगर जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर आईएएस बनने तक का उनका सफर यह साबित करता है कि मेहनत और दृढ़संकल्प से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
कम नंबर, बड़ा सपना
तुषार सुमेरा ने 10वीं कक्षा में बेहद कम अंक हासिल किए थे। अंग्रेजी में 35, गणित में 36 और विज्ञान में 38 अंक मिलने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कला वर्ग से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की और शिक्षक बनने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने बीएड किया और चोटिला के एक स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के तौर पर काम शुरू किया।
शिक्षक से आईएएस तक का सफर
सुमेरा का सपना सिर्फ शिक्षा देना नहीं था, बल्कि समाज में बड़ा बदलाव लाना था। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ दी। शुरुआती प्रयासों में असफलता के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और 2012 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने की प्रशंसा
भरूच जिले के कलेक्टर रहते हुए तुषार सुमेरा ने “उत्कर्ष पहल” जैसे अभियानों को सफलतापूर्वक लागू किया। उनके काम की सराहना स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर की।
राजकोट में नई जिम्मेदारी
राजकोट नगर निगम के आयुक्त के रूप में सुमेरा अब शहर के विकास और प्रशासनिक सुधारों की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके पास प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ प्रेरक व्यक्तित्व भी है, जो युवाओं और छात्रों के लिए एक मिसाल है।
छात्रों के लिए प्रेरणा
सुमेरा का जीवन इस बात का सबूत है कि असफलता या कम नंबर जीवन का अंत नहीं है। मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के सहारे हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी यह कहानी आज के युवाओं को यह संदेश देती है कि असफलताओं से डरने की बजाय उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
राजकोट के नए आयुक्त के रूप में, तुषार सुमेरा न केवल शहर के विकास में योगदान देंगे, बल्कि अपनी प्रेरणादायक यात्रा से अनगिनत लोगों का मार्गदर्शन करेंगे।