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True wealth is spending wisely
लाइफस्टाइल

समझदारी से खर्च करना ही सच्ची दौलत है

गांव में एक ऊंट का व्यापारी कई सारे ऊंट लेकर बेचने के लिए आया। उसने ऊंट के जो दाम रखे थे, वह कई लोगों को बहुत सस्ते लगे। गांव के लगभग हर जरूरतमंद आदमी ने अपने लिए ऊंट खरीद लिया, लेकिन कालूराम ने एक भी ऊंट नहीं खरीदा।
कुछ हफ्ते बीतने के बाद, उसी गांव में ऊंट का एक और व्यापारी आया। इस व्यापारी के ऊंट पिछले वाले से गुणवत्ता और कीमत दोनों में दोगुने थे। इस बार गांव के किसी भी व्यक्ति ने ऊंट नहीं खरीदा, लेकिन कालूराम ने एक ऊंट खरीदा।
व्यापारी के जाने के बाद कालूराम के दोस्तों ने उसे डांटा। उनका कहना था कि जब पहले व्यापारी ने बेहद सस्ती कीमत पर ऊंट बेचे थे, तब कालूराम ने नहीं खरीदा, और अब दोगुनी कीमत देकर अपना नुकसान कर लिया।
कालूराम मुस्कुराया और सबको समझाते हुए बोला, “हां, यह सच है कि मैंने इस बार ऊंट दोगुनी कीमत में खरीदे हैं, लेकिन वह फिर भी मुझे सस्ते पड़े हैं।” सब उसकी तरफ अचरज भरी नजरों से देखने लगे।
कालूराम ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “पहली बार, मेरे पास पैसों की बहुत कमी थी, इसलिए तब मेरे लिए वह कम कीमत भी बहुत ज्यादा थी। लेकिन इस बार, मेरे पास जरूरत से ज्यादा पैसे थे, इसलिए इस बार मेरे लिए ये ऊंट काफी सस्ते थे।”
फिर उसने समझाया, “जब हमारे पास पैसे कम होते हैं, तब कम से कम खर्च करना या बिल्कुल ना खर्च करना ही फायदे का सौदा होता है। कई लोग कुछ वस्तुएं खरीदने के लिए दूसरों से उधार लेते हैं और बाद में उसके ब्याज के साथ उसकी कीमत से कई ज्यादा पैसा चुकाते हैं।”
कालूराम की इस बात ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि समझदारी से खर्च करना ही सच्ची दौलत है।

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