एक दार्शनिक ज्ञान की खोज में एक गांव पहुँचा, जहाँ उसने सुना कि गांव में एक अत्यंत बुद्धिमान लड़का रहता है। दार्शनिक ने सोचा कि कुछ नया सीखने की लालसा में उस लड़के से मिलने जाए। परिचय के बाद, दार्शनिक ने कहा, “कितना अच्छा होगा अगर दुनिया की सारी असमानता और अनियमितता समाप्त हो जाए!”
लड़के ने दार्शनिक से पूछा, “क्यों समाप्त हो जाए?” लड़के ने आगे कहा, “अगर ऐसा होगा तो पहाड़ों की समतलता से पक्षियों को छाया नहीं मिलेगी। खाइयों, नदियों और समुद्रों के भर जाने से उनमें मछलियाँ और अन्य जीव नहीं रह पाएंगे। अगर गांव में ग्राम सेवक और एक अल्प बुद्धि वाला आदमी समान हो जाएं, तो कोई भी नहीं जान पाएगा कि क्या करना है और कब करना है। जीवन में सुख-दुख, शांति या संतोष जैसी अनुभूतियाँ समाप्त हो जाएंगी। और अगर सभी समान हो जाएं, तो कोई भी किसी के लिए काम नहीं करेगा क्योंकि सभी के पास एक समान धन-दौलत होगी और दुनिया ठहर जाएगी।”
लड़के के इन विचारों से दार्शनिक बहुत प्रभावित हुआ और उसकी सोच ने उसके दृष्टिकोण को बदल दिया। उसने महसूस किया कि असमानता की भूमिका जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है। भगवान ने दुनिया को इस तरह बनाया है कि असमानताएं एक संतुलन बनाए रखें और जीवन को गतिशील बनाएं।
हम अक्सर दुनिया की असमानताओं से परेशान होते हैं—गरीब, अमीर, सुंदर, बदसूरत, ताकतवर, कमजोर। लेकिन यह कहानी हमें यह समझने में मदद करती है कि असमानता वास्तव में जीवन की विविधता और सुंदरता को बनाए रखती है। अगर सभी अमीर होते, तो मेहनत कौन करता? अगर सभी ताकतवर होते, तो मदद कौन करता? अगर सभी सुंदर होते, तो आंतरिक सुंदरता की कदर कौन करता?
हम महान रचनाकार की रचनाओं को पूरी तरह से समझ नहीं सकते, लेकिन उन्हें स्वीकार करके और उनके प्रति सही दृष्टिकोण अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।